कांग्रेस के गृहमंत्री को कश्मीर जाने में लगता था डर…..!
पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का कबूलनामा आया सामने
नईदिल्ली। पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे का बड़ा कबूलनामा सामने आया है, जिस पर सियासी पारा चढ़ने लग गया है. उन्होंने कहा है कि जब वह देश के गृह मंत्री थे तब उन्हें कश्मीर जाने से डर लगता था. उनके इस बयान को लेकर बीजेपी ने पलटवार किया है और कांग्रेस को शिंदे की बातों पर ध्यान देने की सलाह दी है.
सुशील कुमार शिंदे ने कहा, ‘जब मैं होम मिनिस्टर था, उसके पहले मैं विजय धर के पास जाता था और उनसे सलाह भी लेता था, तो उन्होंने मुझे ऐसी सलाह दी कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक… तू लाल चौक में जाकर वहां भाषण कर. कुछ लोगों से मिल और डल झील में घूमते चलो… उस सलाह से मुझे बहुत पब्लिसिटी मिली और लोगों में संदेश गया एक ऐसा होम मिनिस्टर है, जो बिना डर के जाता है, लेकिन मेरी @#$%@ (आपत्तिजनक शब्द) थी किसको बताऊं मैं.’ शिंदे ने ये बातें अपनी किताब के विमोचन के मौके पर कीं, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद थे.
सुशील कुमार शिंदे के बयान पर बीजेपी का जवाब आया है और उसका कहना है कि शिंदे का बयान प्रमाण है कि 370 हटाने से पहले घाटी का हाल क्या था. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि शिंदे की बातों पर कांग्रेस ध्यान दे. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद की कमर टूट गई है. आज लाल किले से लाल चौक तक तिरंगा लहराता है. आतंकवाद और पत्थरबाजी में लगातार कमी आई है. जहां पहले गोली चलती थी, वहां क्रिकेट होता है.
सुशील कुमार शिंदे के बयान के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या सुशील कुमार शिंदे ने माना अब कश्मीर बदल गया है, क्या शिंदे ने मान लिया है कि कश्मीर अब सुरक्षित है, क्या कांग्रेस नेता ने इशारों में 370 हटने की तारीफ की, क्या शिंदे ने कश्मीर पर मोदी सरकार की नीति पर मुहर लगाई है, क्या शिंदे ने कांग्रेस सरकार की तुलना में घाटी को अब ज्यादा बेहतर बताया?
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी से लेकर आतंकियों के खात्मे पर एक्शन लिया गया है. साल 2015 से 2019 के पत्थरबाजी की 5063 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि 2019-2023 के बीच केवल 434 घटनाएं दर्ज की गईं. वहीं, 2015-2019 के बीच 740 आतंकी ढेर किए गए, जबकि 2019-2023 के बीच 675 दहशतगर्दों को मौत के घाट उतारा गया है. अगर सुरक्षाकर्मियों के जान गंवाने की बात करें तो 2015-2019 के बीच 379 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 2019-2023 तक 146 जवान शहीद हुए.
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