कोरबा 21 अगस्त। कुसमुंडा इलाके की सड़क एक ऐसी दास्तां बन चुकी है जो शुरू तो बहुत पहले हुई थी लेकिन इसका अंत समझ में नहीं आता। इसलिए इसे अलग-अलग संज्ञा दी जा रही है। तमाम तरह की दुश्वारियां के बावजूद आम और खास लोग इसी रास्ते से आना-जाना कर रहे हैं, क्योंकि यह उनकी मजबूरी है। बारिश के मौसम में कीचड़ का सामना करना पड़ता है लोगों को इस रास्ते पर चलने के दौरान। इसके ठीक उल्टे बारिश के बाद जितने मौसम आते हैं उसमें इस रास्ते पर वायु प्रदूषण के नजारे लोगों को परेशान करते हैं। इस तरह के हालात कब से बने हुए हैं इस बारे में स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन दावा किया जा रहा है कि 10 साल से ज्यादा समय तो हो ही चुका है। परेशानी यह है कि लंबा वक्त बीतने के बाद भी इस मार्ग को बेहतर स्थिति में लाने का सपना पूरा नहीं हो सका।

जिला मुख्यालय कोरबा को कोयलांचल से जोडऩे वाला मार्ग इतना घटिया हो चुका है कि यहां पर से आवाजाही करने वाला वर्ग सिस्टम को कई मौकों पर कोसने से नहीं चूकता। सुनिए लोग क्या कहते हैं इस सड़क के बारे में। यह बात सही है कि सड़कों को विकास का वाहक माना जाता है। धारणा यह भी है कि सड़कों की स्थिति के आधार पर आप भी किसी भी क्षेत्र की प्रगति का आकलन कर सकते हैं। लेकिन कोरबा के विषय में ऐसा सोचना सच नहीं है। औद्योगिक प्रगति की तस्वीर जिस जिले में दिखाई देती हो और जहां का प्रति व्यक्ति आर्थिक आय सूचकांक प्रदेश में सबसे ज्यादा हो वहां की सड़कें सबसे बदहाल हैं। देखते हैं कि या तस्वीर अच्छी कब होती है।

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