प्री-मानसून का असर, कुसमुंडा, दीपका और गेवरा खदान में कोयला का उत्पादन प्रभावित

कोरबा 18 जून। प्री.मानसून बारिश का असर जिले के खुली खदानों में अभी से नजर आने लगा है। बुधवार शाम से देर रात तक लगातार लगभग 5 घंटे तक बारिश हुई। इससे जिले में स्थित एसईसीएल के मेगा कोल परियोजनाओं में उत्पादन कार्य पर असर पड़ा है। प्री.मानूसन के शुरुआती बारिश से ही जिले के अलग-अलग कोयला खदानों में प्रतिदिन का कोल प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है। अन्य दिनों की अपेक्षा कोयला उत्पादन के आंकड़ों से इसका पता चलता है।   

खदानों में 10 हजार टन से लेकर 20 हजार टन तक कोयला उत्पादन कम हुआ है। गेवरा परियोजना में कुछ दिनों पहले तक खदान से हर दिन 1.40 लाख टन या इससे अधिक कोयला उत्पादन हो रहा था, जबकि बुधवार को 1.29 लाख टन तक कोयला उत्पादन हुआ। दीपका में सामान्य दिनों होने वाले 82.85 हजार टन कोल प्रोडक्शन के मुकाबले 62 हजार टन कोयला उत्पादन हुआ। वहीं कुसमुंडा प्रोजेक्ट में भी डेली कोल प्रोडक्शन में 20 हजार टन तक की कमी रही। इसके कारण एसईसीएल के उत्पादन लक्ष्य पर भी प्रभाव पड़ा है। पिछले कुछ दिनों से एसईसीएल में जहां डेली प्रोडक्शन टारगेट के मुकाबले 3.80 लाख टन तक था, जो बारिश के चलते बुधवार को 3.20 लाख टन तक कोयला उत्पादन हुआ है। एसईसीएल के मानिकपुर में 12 हजार टन और सराईपाली खदान में 3500 टन कोयला निकाला गया। बता दें कि कटघोरा ब्लॉक मे काफी बारिश हुई है। कपनी के मेगा परियोजना इसी ब्लॉक में हैं। प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा कि बारिश के दिनों में उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है लेकिन अभी ज्यादा असर नहीं है।     

बीते वर्ष मानसून के दौरान जिले के मेगा परियोजनाओं में कोयला उत्पादन पर व्यापक असर पड़ा था। इसकी वजह से कोयला संकट खड़ा हो गया था। इसे ध्यान में रखते हुए इस बार एसईसीएल के खुले कोयला खदानों में एसईसीएल की ओर से उसे सुरक्षा अभियान भी चलाया गया है। जिसके तहत खदानों के पंटून में रखरखाव, पंपों का रखरखाव, हॉल रोड का निर्माण, रिटेनिंग वॉल और तटबंध का रखरखाव सहित अन्य कार्यों पर जोर दिया गया है ताकि जलभराव ना हो और अन्य काम भी बाधित न हो। हालांकि ये देखने वाली बात है कि आगे बारिश के दिनों में इस अभियान का कितना लाभ मिलेगा।     

एसईसीएल के खदानों से राज्य पावर कंपनी के बिजली प्लांटों में कोयला सप्लाई होता है। बारिश की वजह से आंशिक रूप से खदानों में कोल डिस्पैच पर भी असर पड़ा है। एचटीपीपी में प्रतिदिन कोयले की खपत 22 हजार टन है। सामान्य दिनों में यहां जरूरत के अनुसार कोयला आपूर्ति हो रही थी लेकिन प्री.मानसून बारिश के चलते बुधवार को 15 हजार टन कोयले की आपूर्ति हुई। कंपनी के मड़वा प्लांट में अभी एक यूनिट चालू है, ऐसे में यहां प्रतिदिन 7 हजार टन कोयले की खपत हो रही है। यहां पहले से ही कोयले की आपूर्ति कम है, बुधवार को प्लांट में 4 हजार टन ही कोयला सप्लाई हुआ।   

एसईसीएल के खुली कोयला खदानों में ज्यादा बारिश होने की स्थिति में खदानों में कोयला उत्पादन के उपयोग में लाए जाने वाले भारी मशीनों का संचालन के काम में बाधा आती है वही कोयला खदानों के रूट पर फिसलन की वजह से भी सावधानी से काम करना पड़ता है ऐसे में बारिश के दिनों में कोयला खदानों में उत्पादन 30-30 फ़ीसदी तक कम हो जाता है। फिलहाल प्री मानसून की शुरुआत से ही यहां खदानों में उत्पादन और प्रभाव दिखने लगा है।

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