कोरोना से मुक्ति के लिए गायत्री परिवारों ने किया घरों में यज्ञ

कोरबा 27 मई। अखिल भारतीय गायत्री परिवार के तत्वाधान में गायत्री परिवार कोरबा इकाई की ओर बुधवार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अनुष्ठान किया गया। जिले के 1500 से भी अधिक घरों में श्रद्धालुओं कोरोना की त्रासदी से विश्व को मुक्त करने की कामना के साथ यज्ञ समिधा में आहुति दी। गायत्री मंत्र के साथ बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के उद्देश्य से आयोजिन यज्ञ में श्रद्धालुओं ने उल्लास से भागीदारी निभाई।

शहर लेकर गांवो में घरों में विश्व कल्याण के लिए आयोजित यज्ञ अनुष्ठान में श्रद्धालुओं ने कोरोना से मुक्ति के लिए वेदमाता गायत्री से प्रार्थना की। गायत्री परिवार जिला इकाई की ओर से इसकी पहले से ही सूचना दे दी गई थी। श्रद्धालुओं इस पुनीत कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। आयोजन के संबंध में गायत्री परिवार जिला युवा इकाई के संगठन प्रमुख रमाकांत साहू ने बताया कि जिले में 1500 से भी अधिक श्रद्धालुओं आयोजन में भागीदारी निभाई हैं। प्रत्येक परिवार को दो अन्य घरों में प्रेरित कर यज्ञ आयोजन की जिम्मेदारी दी गई थी। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए यज्ञ आयोजन किया गया। शहर से लेकर गांव तक आयोजन को लेकर लोगों में उल्लास रहा। विश्वकल्याण की प्रार्थना के लिए इससे पहले यज्ञ घरों में किया गया था। आयोजन के लिए बुधवार का समय निश्चित किया गया था। जिले के कई परिवारों से यज्ञ सम्पन्न करने की सूचना आ रही है। संगठन प्रमुख ने बताया कि यह आयोजन विश्व भर भर में आयोजित हुआ है। उन्होने यज्ञ संपन्न कराने के उद्देश्य के संबंध में बताया कि ऐसे आयोजन से मन शांति व मनोविकार से लड़ने के अलावा साकारात्मक विचार को संबलता मिलती है। पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण की छाया है ऐसे में यज्ञ आयोजन की सार्थकता इसी में झलकती है कि जिले भर के गायत्री परिवार के श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी निभाई है। शहर के अलावा बालको, जमनीपाली, दर्री, कटघोरा, पाली, सरगबुंदिया, बरपाली, करतला, चैतमा, हरदीबाजार, बांकीमोगरा, दीपका, छुरी आदि उपनगरीय क्षेत्रों में भी यज्ञ का विधान से आयोजन घरों में हुआ।

आयोजन के वैज्ञानिक पहलू की अवधारणा के बारे संगठन प्रमुख ने बताया कि यज्ञ से निकलने वाली धूम्र में वायरस से लड़ने की क्षमता होती है। गोबर से लीपे हवन कुंड में गोबर के ही कंडे, आम्र की लकड़ी और घी का अग्नि की उपस्थिति में निकलने वाली धूम्र प्रकृति के लिए कल्याण कारी है। उन्होने बताया कि इस यज्ञ आयोजन से हम मानसिक शांति की ओर आगे बढ़ते हैं।

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