श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर विविध आयोजन कल
उप- मुख्यमंत्री अरुण साव करेंगे शिरकत
कोरबा 22 अक्टूबर। पुण्य श्लोक लोक माता देवी अहिल्याबाई होल्कर 300 वीं जयंती के अवसर श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय कोरबा में अहिल्या बाई होलकर पर आधारित विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उप- मुख्यमंत्री श्री अरुण साव तथा विशिष्ट अतिथि केबिनेट मंत्री श्री लखनलाल देवांगन की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।
पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयंती आयोजन समिति जिला कोरबा द्वारा संपूर्ण कोरबा जिले के शालेय व महाविद्यालय एवं सामाजिक स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अहिल्या बाई होलकर का जीवन संघर्ष उनका व्यक्तित्व तथा उनके जनहितकारी कार्यों की जानकारी घर-घर तक पहुंचे। आज की युवा पीढ़ी उनके जीवन से प्रेरणा ले सके। इसी क्रम में श्री कन्या महाविद्यालय कोरबा में 23 अक्टूबर को प्रातः 10.30 बजे सभागार में विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह हमारे देश की विडंबना ही है कि आज का युवा वर्ग मुगल साम्राज्य की पूरी वंशावली को याद कर बैठा हुआ है, लेकिन अहिल्या बाई होलकर जैसे व्यक्तित्व के संबंध में इनके पास कोई भी जानकारी नहीं है। अतः उनके जीवन संघर्ष तथा उनके नेतृत्व कौशल को भारत का प्रत्येक नागरिक परिचित हो यह सभी का दायित्व है। उनके द्वारा दिखाए गए सादगी, चरित्र, धार्मिकता एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान के मार्ग पर आगे बढ़ना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यही आयोजन समिति का प्रमुख उद्देश्य है। अग्रसेन महाविद्यालय के अध्यक्ष सुनील जैन सचिव पवन अग्रवाल जयंती समारोह अध्यक्ष डॉ मनोज झा सचिव अक्षदा पुंडलिक ने सभी से अनुरोध किया है कि इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में पहुँचे एवं अपने बच्चो को भी जरूर लाए।
जीवन परिचय-
एक साधारण पृष्ठभूमि की ग्रामीण बालिका से लेकर एक असाधारण शासक बनने तक की उनकी जीवन यात्रा आज भी प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है। वे कर्तव्य, सादगी, धर्म के प्रति प्रतिबद्धता, प्रशासनिक कौशल, दूरदर्शिता और शानदार शुद्धता के लिए एक अद्वितीय उदाहरण थीं। वह भगवान शंकर के प्रतिनिधि के रूप में श्री शंकर की राजमुद्रा के साथ शासन करती थीं। उनका शासन आदर्श था, जिसमें भूमिहीन किसानों, भीलों जैसे आदिवासी समूहों और विधवाओं के हितों की रक्षा करने वाले लोक कल्याणकारी कार्यक्रम शामिल थे।
एक कुशल शासक के रूप में देवी अहिल्याबाई सामाजिक परिवर्तन, कृषि विकास, जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण आदि जनहितकारी कार्यों में उनका महत्वपूर्ण योगदान था इन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद तीन दशक तक कुशलता से साम्राज्य चलाया और लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था को साकार रूप दिया. मुगल शासकों द्वारा उजाड़े गए तीर्थ स्थलों को उन्होंने फिर आबाद किया. उन्होंने देश के 100 से अधिक स्थानों पर तीर्थ स्थलों पर धर्मशाला, जल संरचना आदि का निर्माण कराया. इतना ही नहीं, काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार भी कराया.
उन्होंने न केवल अपने राज्य पर विशेष ध्यान दिया, बल्कि पूरे देश के मंदिरों की पूजा और वित्तीय प्रबंधन की व्यवस्था की।
उन्होंने बद्रीनाथ से लेकर रामेश्वरम और द्वारिका से लेकर पुरी तक आक्रमणकारियों द्वारा अपवित्र किए गए मंदिरों का जीर्णोद्धार किया। प्राचीन काल से चली आ रही और आक्रमणों के दौरान बाधित हुई तीर्थ यात्राओं को उनके प्रयासों से नया जीवन मिला। इन महान प्रयासों के कारण उन्हें ष्पुण्य श्लोकष् की उपाधि मिली। भारत भर में फैले इन पवित्र स्थानों का विकास उनकी राष्ट्रीय दृष्टि का प्रतिबिंब है।