कोरबा 25 नवंबर। जन संघर्षों को संगठित किये बिना संगठन का निर्माण नहीं किया जा सकता और और बिना संघर्ष के संगठन भी नहीं बनाया जा सकता। संगठन जितना मजबूत होगा, जन संघर्षों के विस्तार भी उतनी ही तेजी से होगा। जिले में किसान सभा को मजबूत करने की यही कुंजी है। यही वह रास्ता है, जिसके जरिए भूविस्थापितों और गरीब किसानों की आवाज सड़क से विधानसभा तक पहुंचाई जा सकती है।

ये बातें किसान सभा के दूसरे जिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कही। किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज कोरबा के भूविस्थापित गरीब किसान जिस चक्की में पिस रही है, उसके खिलाफ लडऩे के लिए योजनाबद्ध ढंग से संघर्ष विकसित करने की जरूरत है। भूविस्थापन, वनाधिकार, मनरेगा, आदिवासियों पर दमन आदि जिन मुद्दों को हमने चिन्हित किया है, इनमें से हर समस्या अखिल भारतीय मुद्दे से जुड़ती है। इसलिए इन स्थानीय मुद्दों पर आयोजित संघर्षों की धमक दूर तक जाती हैं। उन्होंने इन मुद्दों पर संघर्षों को निरंतरता में आयोजित करने और उसे सकारात्मक नतीजों तक पहुंचाने पर जोर दिया। किसान सभा के वरिष्ठ नेता नंदलाल कंवर द्वारा झंडारोहण से सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन में 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जवाहर सिंह कंवर, नंदलाल कंवर, दीपक साहू ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। सचिव प्रशांत झा ने रिपोर्ट पेश की। उपस्थित प्रतिनिधियों ने बहस में भाग लिया और रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया। सम्मेलन ने 25 सदस्यीय जिला समिति का चुनाव किया। अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, उपाध्यक्ष नंदलाल कंवर, दीपक साहू, दिलहरण बिंझवार, मान सिंह, सचिव प्रशांत झा, सहसचिव जय कौशिक, संजय यादव, कार्यकारिणी सदस्य राजकुमारी कंवर, देव कुंवर, सुराज सिंह कंवर, भानू सिंह, रामायण सिंह, नरेंद्र साहू, गणेश राम चौहान, कान्हा अहीर, शिवरतन कंवर, बसंत चौहान, सुमेंद्र सिंह कंवर निर्वाचित हुए। राज्य महासचिव ऋषि गुप्ता के संबोधन के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने देशव्यापी किसान आंदोलन का उल्लेख करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य, जनविरोधी बिजली बिल आदि के खिलाफ संघर्षों को विकसित करने पर जोर दिया।

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