महाआरती को लेकर छिड़ा संग्राम, प्रशासन ने आयोजन की नहीं दी अनुमति

कोरबा 05 नवम्बर। क्या कार्तिक पूर्णिमा को यहां के हसदेव घाट पर महाआरती हो भी सकेगी? यह सवाल पिछले कुछ दिनों से हर किसी के मस्तिष्क में कौंध रहा है। लंबे समय से हसदेव घाट की सफाई के साथ यहां अमावस्या और पूर्णिमा को अनुष्ठान के साथ महाआरती करने वाले पक्ष को स्थानीय प्रशासन ने इस पूर्णिमा पर आयोजन की अनुमति नहीं दी। जबकि दूसरे पक्ष के लिए उदारता दिखाई। इसी मसले को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। नमामि हसदेव के संयोजक रणधीर पांडेय ने आज से मुद्दे को लेकर अन्न-जल का त्याग कर दिया है। इससे अफसरों की मुश्किलें बढ़ गई है।अविरल और निर्मल गंगा की तर्ज पर क्षेत्रीय नदियों के संरक्षण को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास चल रहे हैं।

इसी अवधारणा के अंतर्गत नमामि हसदेव ने बीते वर्षों में कोरबा जिले में हसदेव नदी की सफाई के साथ लोगों को धार्मिक और भावनात्मक रूप से इस अभियान में जोड़ा। समय के साथ लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई और अभियान को गति मिली। इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सैद्धांतिक रूप से नमामि हसदेव संगठन ने इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर हसदेव घाट पर बड़ा आयोजन करना घोषित किया। इसके लिए तैयारी पहले से ही है और आयोजन को लेकर उसका दावा भी मजबूत है।

औपचारिकताओं के अंतर्गत नमामि हसदेव के द्वारा आयोजन को लेकर स्थानीय प्रशासन को समय से पहले आवेदन दियागया। खास बात यह है कि नमामि हसदेव के कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने वाले अनुष्ठान और देव दिवाली के लिए अनुमति नहीं दी गई। इसके पीछे अजीब तर्क दिए जा रहे हैं। खबर के मुताबिक एक अन्य संगठन को लेकर नीति कुछ अलग रखी गई है। विरोध इसी बात का है। अधिकारी की ओर से ढुलमूल व मनमाने रवैये से नाराज होकर नमामि हसदेव ने कड़ा एतराज जताया है। उसके संयोजक रणधीर पांडेय ने कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित आयोजन को अनुमति नहीं दिए जाने के विरोध में मंगलवार को अन्न-जल का त्याग कर दिया है। उन्होंने बताया कि निजी स्वार्थों के लिए कुछ लोग इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। उनकी सद्बुद्धि के लिए आज से लक्ष्मी नारायण महायज्ञ शुरू किया गया है। इसके साथ ही हसदेव महाआरती की अनुमति प्राप्त होने और अनुष्ठान पूर्ण होने तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।

बताया गया कि नमामि हसदेव के द्वारा विगत वर्ष से मां सर्वमंगला घाट कोरबा पर प्रत्येक मास की पूर्णिमा को हसदेव आरती और प्रत्येक माह की तृतीय रविवार को घाट की सफाई का सिलसिला शुरू किया गया है। इसके पीछे हमारा उद्देश्य हसदेव को हर हाल में निर्मल, पावन बनाने के साथ-साथ लोगों को नदियों के जल को साफ-सुथरा बनाते हुए घाटों को व्यवस्थित रखने में अपनी भूमिका निभाने हेतु जोडना है। लेकिन कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए नमामि हसदेव के कार्तिक मास में आयोजित लक्ष्मी नारायण महायज्ञ 13, 14 और 15 नवंबर एवं 15 नवंबर को कार्तिक पूणर््िामा पर हसदेव महाआरती का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते एसडीएम से इस आयोजन की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। इससे असंख्य लोगों की भावनाएं आहत हो रही है। कई स्तर पर इस मामले को लेकर विभिन्न संगठनों ने प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाई है और जिला अधिकारी से हस्तक्षेप करने को कहा है। लोगों का कहना है कि हसदेव की सफाई के लिए जो संगठन लंबे समय से लगा हुआ, कार्तिक पूर्णिमा पर उसकी भूमिका के बारे में निश्चित तौर पर भरपूर ध्यान रखा जाना चाहिए।

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