भूविस्थापितों के लिए रोजगार और पुनर्वास की मांग: किसान सभा ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी
कोरबा 24 सितम्बर। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने संयुक्त रूप से एसईसीएल के सभी क्षेत्रों में भू विस्थापितों के लिए रोजगार और पुनर्वास एवं प्रभावित गांवों की मूलभूत समस्याओं का निराकरण करने की मांग पर तानसेन चौक से रैली निकालकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा 20 सूत्रीय मांगपत्र सौंपकर आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र द्वारा पूर्व में कई गांवों का अधिग्रहण किया गया था, इसलिए भू-विस्थापितों की समस्याओं के लिए जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन दोनों ही जिम्मेदार हैं। इन समस्याओं की ओर कई बार जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन इन समस्याओं के निराकरण के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर 328 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है। पूरे खनन क्षेत्र में रोजगार, पुनर्वास और ग्रामीण समस्याओं को हल करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन हो रहे हैं। किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर तथा जय कौशिक का आरोप है कि लेकिन जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों से भाग रही है और भूविस्थापितों को गुमराह करने का काम कर रही है। किसी भी पुनर्वास ग्राम में बुनियादी मानवीय सुविधाओं के साथ बसाहट नहीं दी गई है और न ही यहां के लंबित रोजगार प्रकरणों का निराकरण किया गया है। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव सचिव दामोदर श्याम तथा रघु ने कहा कि जिनकी जमीन एसईसीएल ने ली है उन्हें बिना किसी शर्त के रोजगार दिया जाये क्योंकि जमीन ही उनके जीने का एकमात्र सहारा था।
प्रदर्शन के बाद 7 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने संयुक्त कलेक्टर विजेंद्र सिंह पाटले के माध्यम से कलेक्टर के नाम 20 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा और 17 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी दी। इस घेराव में भूविस्थापितों के परिवारजन भी शामिल होंगे। मांगपत्र में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ सभी छोटे-बड़े खातेदारों को रोजगार देने, आंशिक अधिग्रहण पर रोक लगाने तथा पूर्व में अधिग्रहित भूमि को मूल भूस्वामी किसानों को वापस करने, आउटसोर्सिंग कार्यों में प्रभावित गांवों के सभी बेरोजगारों को रोजगार देने तथा महिलाओं को स्वरोजगार योजना में शामिल करने, शासकीय भूमि पर कब्जाधारियों को भी उनकी परिसंपत्तियों का मुआवजा और रोजगार देने, भूविस्थापित परिवारों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देने और उनके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने और स्कूल बसों में फ्री पास देने तथा पुनर्वास गांवों में एसईसीएल द्वारा की गई तोड़.फोड़ का और डि.पिल्लरिंग के कारण फसल नुकसानी का मुआवजा देने की मांगें शामिल हैं।
विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से बसंत चौहान, रवि यादव, चंद्रशेखर, अनिल बिंझवार, उत्तम, होरी, सुमेन्द्र सिंह, संजय यादव, पंकज, पुरषोत्तम, नरेंद्र यादव, प्यारे, फणीन्द्र, गणपत, दीनानाथ, शिवपाल, भूपेंद्र, अमरजीत आदि के साथ सैकड़ों भू-विस्थापित शामिल थे। इस ज्ञापन की प्रति कोयला मंत्री और मुख्यमंत्री के साथ ही एसईसीएल के सीएमडी को भी भेजी गई है।