सेंद्रीपाली और चिर्रा गोठान में 16 गो-पालकों ने बेचे 87 लीटर गोमूत्र

कोरबा 29 जुलाई। छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार हरेली पर्व कोरबा जिले में हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ पारंपरिक तौर तरीकों से मनाया गया। हरेली तिहार के अवसर पर जिले के गोठानों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विकासखंड पाली के ग्राम सेंद्रीपाली के गोठान में जिला स्तरीय हरेली महोत्सव का आयोजन किया गया। यहां छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा के साथ कृषि उपकरणों और कृषि यंत्रों की पूजा की गई।

हरेली पर्व पर ग्रामीणों ने गेड़ी चढ़कर, नारियल फेंककर, फुगड़ी सहित भौरा-बाटी खेलकर सभी ने त्योहार का जमकर आंनद उठाया। सेंद्रीपाली के गोठान में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में पाली तानाखार क्षेत्र के विधायक एवं मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा और कलेक्टर संजीव झा भी शामिल हुए। विधायक केरकेट्टा ने जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा अर्चना की और लोगों की खुशहाली की कामना की। इसके बाद उन्होंने गौमाता को चारा खिलाया और उसकी पूजा की। इस दौरान विधायक, कलेक्टर सहित ग्रामीणों ने गेड़ी चढ़कर हरेली पर्व की खुशियां बांटी। हरेली पर्व से जिले में गो-मूत्र की खरीदी की भी शुरूआत हो गई। जिले के दो गोठान सेंद्रीपाली और चिर्रा में गो-मूत्र खरीदी की शुरुआत हुई । पहले दिन जिले के 16 हितग्राहियों से कुल 87 लीटर गोमूत्र की खरीदी इन दो गोठानों में की गई। गोमूत्र में नीम, सीताफल, पपीता, करंज और अमरूद आदि के पत्ते मिलाकर उत्कृष्ट जैविक कीट नियंत्रक तैयार किए जायेंगे। सेंद्रीपाली के गोठान में आयोजित हरेली तिहार कार्यक्रम में इस दौरान गौ सेवा आयोग सदस्य प्रशांत मिश्रा, राज्य श्रम कल्याण आयोग सदस्य नवीन सिंह ठाकुर, जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर, जनपद पंचायत अध्यक्ष पाली दमयंती सेंद्राम, जनपद पंचायत पाली सीईओ वीके राठौर, जनपद सदस्य गणए सरपंच व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद रहे। विकासखंड कोरबा के चिर्रा गोठान में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर, एसडीएम कोरबा हरिशंकर पैकरा, जनपद पंचायत कोरबा के सीईओ सहित ग्रामीणजन मौजूद रहे।

पायलट प्रोजेक्ट के तहत हर जिले के दो गोठानों में गो-मूत्र की खरीदी करेगी। कृषि विकास कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गो-मूत्र खरीदने चार रुपये प्रति लीटर कीमत तय की गई है। खरीदे गए गो-मूत्र से जीवामृत और कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे। गो-मूत्र से महिला स्व-सहायता समूह की मदद से जीवामृत और कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किये जाएंगे। इससे ग्रामीणों को रोजगार और आय के नया जरिया मिलने के साथ जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और कृषि लागत कम होगी। विधायक केरकेट्टा ने कहा है कि परंपराओं को आधुनिक जरूरतों के अनुसार ढालना सामूहिक उत्तरदायित्व का काम है।

हरेली तिहार कार्यक्रम में उपस्थित कलेक्टर संजीव झा ने कहा कि गो-मूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। इसी को ध्यान में रखकर गो-मूत्र की खरीदी शुरू की जा रही है। इससे पशुपालकों को अब पशुधन के गो-मूत्र को बेचने से जहां एक ओर अतिरिक्त लाभ होगा, वहीं दूसरी ओर महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गो-मूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे।

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