खरीफ फसल के लिए बारिश ने आशा के अनुरूप अवसर बढ़ायी
कोरबा 19 जून। आषाढ़ माह को तीन दिन हो चुके हैं। इस बीच हो रही बारिश ने किसानों में बेहतर मानसून की उम्मीद जगा दी है। अब तक जिले में 305.20 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। बीते वर्ष की तुलना में यह 178.50 मिली मीटर अधिक है। मिट्टी में नमी आते ही किसानों ने धान की रोपा और कतार बोआई के लिए जोताई शुरू कर दी है।
खरीफ फसल के लिए बारिश ने आशा के अनुरूप अवसर बढ़ा दी है। 15 जून को आषाढ़ माह की शुरूआत से बारिश का दौर जारी है। दो जून को नवतपा समापन के बाद भी तापमान में लगातार में वृद्धि दर्ज की गई। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सूखा बोआई का सलाह दिया। जिन किसानों ने बोआई कर ली है उनके लिए बारिश बेहतर साबित हो रहा है। अब तक जिले में तहसीलवार हुई बारिश पर गौर किया जाए तो सर्वाधिक 105 मिलीमीटर बारिश कटघोरा में तो इसके विपरीत सबसे कम 16.20 मिलीमीटर बारिश कोरबा में हुई है। बताना होगा कि जिले के अधिकांश किसान रोपा खेती करते हैं। किसान कम पानी में अधिक से अधिक फसल ले सकें इसके लिए उन्हे कतार बोनी के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बताना होगा जिला कृषि विभाग ने इस बार रोपा के लिए 41 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया है, वहीं कतार बोनी के लिए 36 हजार 960 हेक्टेयर में बोआई तय किया है। जिला कृषि अधिकारी अनिल कुमार शुक्ला की माने तो रोपा बोआई में प्रति एकड़ 16 से 18 क्विंटल धान की उपज होती है। कतार बोआई करने पर पैदावार तीन से चार क्विंटल बढ़ जाती है। मानूसन का दौर ऐसे ही जारी रही तो जुलाई माह के अंत प्रथम चरण की खेती पूरी होने की संभावना है। सीमित लागत में किसानों को अधिक पुसल के लिए कृषि विभाग से धान के बदले अन्य उपज के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस कड़ी कोरबा और करतला क्लस्टर के एक हजार हेक्टेयर भूमि में कोदो की खेती की जाएगी। इसके लिए ऐसे किसानों का चयन किया जा रहा हैए जहां सिंचाई सुविधा की कमी है। चयनित किसानों को खादए बीज व दवाएं 50 फीसद छूट के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। योजना का उद्देश्य कम रकबा में अधिक लाभ देने वाले फसल की समृद्ध खेती को बढ़ावा देना है।
खरीफ में अन्य फसल को बढ़ावा देने के लिए जिला कृषि विभाग ने धान का रकबा 16 हजार हेक्टेयर कम कर दिया है। जिले में इस वर्ष 81 हजार 760 हेक्टेयर में धान बोआई क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बीते वर्ष यह 98 हजार 741 हेक्टेयर था। रकबा घटाने की वजह धान के बदले कोदो के अलावा रागी, मक्का, ज्वार व दलहन, तिलहन को बढ़ावा देना है। शासन ने धान और मक्का की तरह कोदो का सरकारी दर तय किया है। वन समितियों की ओर इसे 30 रुपये किलो में खरीदी की जाएगी। कम लागत में अच्छी फसल की संभावना को देखते हुए किसानों में कोदो बीज की मांग बढ़ गई है।