बारिश के साथ ही राज्य में घटी 1500 मेगावाट बिजली की मांग
कोरबा 19 जून। राज्य में मानसून के सक्रिय होते ही बिजली की मांग में भी लगभग 1500 मेगावाट की गिरावट आ गई। राज्य में बिजली की मांग 3255 मेगावाट के करीब रही। विद्युत कंपनी के मड़वा संयंत्र की एक हजार मेगावाट क्षमता की दोनों इकाई तकनीकी खराबी आने से बंद हो गई। सेंट्रल सेक्टर से 1965 मेगावाट बिजली लेकर उपभोक्ताओं को प्रदान किए जाने से संकट की स्थिति निर्मित नहीं हो सकी।
मानसून शुरू होने से विद्युत उत्पादन कंपनी ने राहत की सांस ली है। दरअसल कंपनी की जांजगीर. चांपा स्थित एक हजार मेगावाट क्षमता संयंत्र में तकनीकी खराबी आ गई। संयंत्र की 500 मेगावाट की एक नंबर इकाई में लगे सीडब्ल्यू पंप में खराबी आ गई थीए इससे शुक्रवार को यूनिट बंद कर सुधार कार्य शुरू किया गया। इधर संयंत्र की 500 मेगावाट की दो नंबर इकाई के बायलर में तकनीकी खराबी होने की वजह से दस दिन के लिए बंद कर दिया गया। वर्तमान में दोनों इकाई बंद है। प्रबंधन का कहना है कि सुधार कार्य किया जा रहा है और एक नंबर इकाई चालू कर ली जाएगी। कंपनी की 1340 मेगावाट क्षमता की हसदेव ताप विद्युत संयंत्र एचटीपीपी कोरबा पश्चिम से 950 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। यहां 210-210 मेगावाट क्षमता वाली चार तथा 500 मेगावाट क्षमता की एक इकाई स्थापित है। वहीं 500 मेगावाट के डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र से 357 मेगावाट बिजली राज्य को मिल रही है। इस संयंत्र की 250-250 मेगावाट इकाई से 180-180 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही थी। विद्युत कंपनी के सभी संयंत्र को मिलाकर 1285 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है और आइपीपी से मिलने वाली बिजली के साथ ही कुल उपलब्धता 1354 मेगावाट है। शुक्रवार की शाम से बारिश होने से बिजली की मांग में कमी आने से संकट की स्थिति टल गई है। मड़वा संयंत्र के मुख्य अभियंता एचएन कोसरिया ने बताया कि पाइप लाइन में लीकेज होने की वजह से एक नंबर इकाई को बंद किया गया, यह इकाई रविवार की रात तक चालू होने की उम्मीद है। वहीं दो नंबर इकाई के बायलर में तकनीकी खराबी आने के साथ ही लाइसेंस की अवधि समाप्त होने की वजह से बंद की गई है। दस दिन के भीतर इस इकाई को भी चालू कर लिया जाएगा।
राज्य में इस बार गर्मी में बिजली की मांग अधिकतम 5300 मेगावाट पहुंच गई थी। हालांकि औसतन 4700 मेगावाट के करीब मांग रही। सेंट्रल सेक्टर के कोटे से मिलने वाली बिजली उपभोक्ताओं तक पहुंचाई गई। इससे कटौती की स्थिति निर्मित नहीं हुई। शनिवार को बिजली की मांग घट कर 3255 मेगावाट हो गई, जबकि उपलब्धता 3335 मेगावाट के करीब रही। सेंट्रल सेक्टर से मिलने वाली बिजली की वजह से राज्य में संकट की नौबत नहीं आई।