आंध्र पुलिस ने कोरबा व यूपी के सात बच्चों को दलाल से छुड़ाया
कोरबा 20 सितंबर। आंध्रप्रदेश के तिरुचिरापल्ली स्टेशन में रेलवे सुरक्षा बल ने सात बच्चों को रेस्क्यू किया है। इसमें छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के 16 साल के तीन व उत्तर प्रदेश के चार बच्चे शामिल हैं। उन्हें घरेलू काम-काज के बदले प्रतिदिन 400 रुपये मेहनताना मिलने का लालच दिया गया था। काउंसिलिंग के बाद उन्हें तिरुचिरापल्ली स्थित बाल आश्रय गृह में ठहराया गया है। बाल कल्याण समिति की ओर से कोरबा जिला प्रशासन को बच्चों की सूचना दी गई। इस मामले में आंध्र पुलिस ने तीन दलालों के खिलाफ बच्चों की तस्करी का मामला दर्ज करते हुए कार्रवाई की है।
तिरुचिरापल्ली रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू किए गए कोरबा के तीन बालकों में एक ग्राम घूंचापुर, दूसरा कटघोरा व तीसरा ग्राम कपोट का रहने वाला है। वहीं चार बच्चे उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिला के रहने वाले हैं। परिवार के जीविकोपार्जन में माता-पिता का हाथ बंटाने की सोच घर से 2200 किलोमीटर दूर पहुंच गए। प्लेटफार्म में एक साथ इतने सारे बच्चों को घूमता देख तिरुचिरापल्ली रेलवे सुरक्षा बल ने शक के आधार पर रोककर पूछताछ की और तब जाकर इस मामले का पता चला। कोरबा से तिरुचिरापल्ली की दूरी दो हजार किलोमीटर से अधिक है। ट्रेन की यात्रा करने पर भी 33 घंटे का समय लग जाता है। इस दौरान कई टीटीई, रेलवे स्टाफ एवं यात्रियों की नजर इन बच्चों पर पड़ी होगी, पर अनगिनत आम यात्रियों एवं कर्मचारियों की निगाह से गुजरकर भी अनदेखी का शिकार हुए यह बच्चे घर से इतनी दूर पहुंच गए। बाल कल्याण समिति कोरबा की सदस्य ने बताया कि आगामी दिनों में वैधानिक प्रक्रिया पूर्ण कर उन्हें कोरबा वापस लाने व उनके गांव पहुंचाने की कार्रवाई की जाएगी। इन तीनों बच्चों को झांसे में लेने वाला दलाल गिरवर लाल चौहान भी कोरबा के कटघोरा का ही रहने वाला है। वह उनके माता-पिता से संपर्क कर तिरुचिरापल्ली में काम दिलाने का झांसा दिया। इसके बदले किसी प्रकार की राशि एडवांस के तौर पर नहीं दी गई। सहमत होने पर उन्हें ट्रेन से तिरुचिरापल्ली ले गया। यह बात सामने आने पर बच्चों को आरपीएफ ने उन्हें कब्जे में लिया। गिरवर लाल के अलावा उत्तर प्रदेश निवासी रामनाथ और एस शिवपूजा के खिलाफ कार्रवाई की गई है।