राजा को कभी मंत्री बनना ही नहीं चाहिए: नन्दकुमार साय
धरमजयगढ़ 18 सितम्बर। ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस की खींचतान जग जाहिर है। कुर्सी की लड़ाई रायपुर से लेकर दिल्ली तक चल रही है। इस बीच प्रदेश भाजपा वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने चुटकी लेते हुए कहा है कि राजा को कभी मंत्री बनना ही नहीं चाहिए।
महाराजा टी एस सिंहदेव के पूर्वजों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उदयपुर स्टेट के नाम से जाना जाने वाला आज के धरमजयगढ़ में तात्कालिन राजा चंद्रशेखर सिंहदेव के कोई संतान नही थे। अपने राजवंश को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने सरगुजा महाराज से राजकुमार चंन्द्रचूण प्रसाद सिंह देव को गोद लेकर राज्याभिषेक किया। बचपन से ही होनहार राजकुमार चंन्द्रचूण प्रसाद सिंहदेव ने स्वतंत्रता पूर्व आईसीएस की परीक्षा देहरादून से उत्तीर्ण की। उनका विवाह त्रिपुरा महाराज की राजकुमारी के साथ हुआ। इन्हें बेस्ट हंटर के लिए हवाई जहाज ईनाम में मिला था। बेस्ट पायलट का अवार्ड त्रिपुरा एअर फोर्स में मिला था। इसके अलावा बेस्ट फोटोग्राफर का खिताब भी इन्हे मिला था। भारत चीन युद्ध 1962 में इन्होंने अपनी सेवेन एवं टू सीटर विमान के साथ 4.83 लाख कीमत का डायमंड कफ्लिंग को रायपुर के राज कुमार कालेज में तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दान किए थे। इससे पहले भारत सरकार में चंन्द्रचूण प्रसाद सिंहदेव को मंत्री मंडल में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया था। तब उन्होंने उक्त प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया था कि राजा के पास स्वयं के महामंत्री और मंत्री होते हैं तो मैं कैसे किसी का मंत्री बन सकता हूं। यही बात सरगुजा महाराज को भी कहना था जब वे मुख्यमंत्री नही बन सके। बता दें कि उदयपुर के तात्कालिन राजा और कोई नहीं बल्कि महाराज टी एस सिंहदेव के दादा के छोटे लड़के यानी चाचा जी थे। (साभार रजत किरण)