दंतैल हाथी ने बरपाली जिलगा पहुंचकर फसलों को किया नुकसान
कोरबा 27 जून। वन मंडल कोरबा के कुदमुरा रेंज में दंतैल हाथी की उपस्थिति एक बार फिर से हो गई है। जिलगा और बरपाली के बीच जंगल में इसे लोगों ने देखा। कुछ लोगों के द्वारा मौसम की फसल लगाई गई है जिसे इस हाथी ने नुकसान पहुंचाया। सूचना दिए जाने पर जरूरी कोशिश की जा रही है ताकि नुकसान को और ज्यादा बढ़ने से रोका जा सके।
जानकारी के अनुसार इस बार एक ही हाथी यहां पर पहुंचा है। स्वभाव से हिंसक समझे जाने वाले इस श्रेणी के हाथी को लेकर लोगों के अनुभव काफी अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले समय में अनेक स्थान पर जानमाल के नुकसान की घटनाएं इसके कारण हो चुकी है। इसलिए लोगों का भयभीत होना स्वाभविक है। बताया गया कि पिछली रात को हाथी की चिंघाड़ इलाके में सुनी गई। इसे काफी दूर तक सुना गया। वन सुरक्षा समिति और स्थानीय लोगों ने सुरक्षा साधनों के साथ उस स्थान का जायजा लिया। मालूम चला कि एक हाथी जंगल के रास्ते पर मौजूद है। जानकारी होने के साथ आसपास के इलाके में अलग.अलग माध्यम से लोगों को सूचना दी गई और सचेत किया गया। सूत्रों ने बताया कि अधिकतम 250 प्रति किलो की दर से बिकने वाला पुटू यहां पर उत्पन्न हुआ है। इसकी काफी मात्रा को हाथी के द्वारा चट कर लिया गया है। कुछ और लोगों की फसल को भी नुकसान पहुंचाए जाने की खबरें प्राप्त हुई हैं। लोगों ने इस मामले में अपने आप को सुरक्षित करने पर ध्यान दिया है। विशेष तौर पर उस इलाके में जाने से बचा जा रहा है जहां खतरे कुछ ज्यादा है।
वन मंडल कोरबा के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्र में प्रवासी हाथियों की उपस्थिति दर्ज कराने के साथ उनके द्वारा उत्पात पहुंचाने की घटनाएं पिछले एक दशक से हो रही हैं। अब तक की स्थिति में 50 से अधिक लोगों की मौत से हाथियों के हमले में हो चुकी हैं जबकि सैकड़ों लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। पिछले वर्ष वन विभाग के द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए थे उसमें प्रभावित लोगों को 18 करोड़ का मुआवजा बांटने की जानकारी दी गई थी। जिस तरह से यह मसला बना हुआ है उससे लगता है कि प्रभावी कोशिश करने की जरूरत है। वन विभाग ने तय किया है कि वह हाथियों की उन्मूलन के लिए कुछ काम नए सिरे से करेगा। इसके लिए खासतर पर वन मंडल कोरबा के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्र में बीहाइव फेंसिंग के पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जाना है। बताया गया कि हाथियों का प्रवेश जिस रास्ते से होता है, वहां पर इस फेंसिंग को किया जाएगा। इसके जरिए कोशिश की जाएगी हाथियों को सही रास्ते की दिशा में ही मूव किया जाए।