कोरबा 8 जून। पन्द्रह साल की सत्ता के बाद विपक्ष में लौटी भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है। जिला भाजपा में जलजला का आसार दिखने लगा है। निकट भविष्य में कभी भी पार्टी में व्याप्त असंतोष सतह पर आ सकता है।

पार्टी हल्के में व्याप्त चर्चा के अनुसार जिले के भाजपाईयों में यादवी संघर्ष प्रारंभ हो गया है। पर्दे के पीछे बनाओं-हटाओ का खेल चल रहा है। जिला और मण्डल संगठनों में कोई तालमेल नहीं है। सहयोगी संगठनों के गठन में भी तरह-तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। इसका मुख्य कारण राजनीतिक परिपक्वता का अभाव और संगठन पर एकाधिकार का प्रयास बताया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार कोरबा जिले में भाजपा के 19 मण्डल हैं। इनमें से 17 मण्डल में जिले क ी कार्यशैली को लेकर असंतोष व्याप्त है। आरोप है कि विभिन्न सहयोगी संगठनों के लिए मण्डल स्तर से नाम तो ले लिये जाते हैं, लेकिन घोषणा के साथ उनका समावेश नहीं किया जाता। मण्डलों की अनसुनी की जाती है। उनसे राय-मशविरा नहीं लिया जाता। बताते हैं कि इन सब कारणों से मण्डल स्तर पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया है। एक ओर पार्टी की शीर्ष नेतृत्व ढाई साल बाद होने वाले चुनावों की तैयारी कर रहा है, तो दूसरी ओर जिले में यादवी संघर्ष छिड़ गया है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि समय रहते इस बीमारी का उपचार नहीं किया गया, तो निकट भविष्य में संगठन में जलजला आ सकता है।

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