आठ तरह के न्यूरोमीटर्स संभालते हैं हमारे शरीर की संचार प्रणालीः डा अजीत हुंडैत
कोरबा 10 मई। एसिटिलीन, कोलीन, प्रोस्टाग्लैंडइन समेत आठ प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर के जरिए न्यूरांस कोशिकाएं ही शरीर में सूचनाएं व संवेदनाएं पहुंचाती हैं। तंत्रिका तंत्र हमारी कोशिकाओं की सतह पर उपस्थित चैनल्स, गेट्स रिसेप्टरस व बायो-इलैक्ट्रिक पोटेंशियल को ओर हार्मोंस हमारी मनोदशा प्रभावित करते हैं। तंत्रिका व अंतःस्त्रावी तंत्र मिलकर शारीरिक क्रियाओं में नियंत्रण व सामंजस्य स्थापित करते हैं। कोमा में तंत्रिका तंत्र कार्य नहीं कर पाता है व शरीर में संचार व्यवस्था अवरुद्ध हो जाती है। इसी तरह जब कोई भावनात्मक, शारीरिक व दिमागी रूप से कमजोर होता है, तब आत्महत्या जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
यह बातें छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के आनलाइन व्याख्यान्न में टाक्सिकोलाजी, फिजियोलाजी व न्यूरोसाइंस विशेषज्ञ एवं शासकीय डीबी गर्ल्स कालेज रायपुर में जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डा अजीत हुंडैत ने कहीं। विज्ञान सभा की ओर से ज्ञान विज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत हम जिंदा क्यों हैं और हम इस जीवन प्रणाली को अपने शरीर में कैसे बनाए रखते हैं, विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. एमएल नायक ने की व प्रस्तावना निधि सिंह ने रखी। डा हुंडैत ने कई रिसर्च पेपर पब्लिश कराए हैं तथा कोशिका विज्ञान और न्यूरो साइंस के ज्ञाता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई। किस तरह से कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन जैसे तत्व आपस में मिलकर कुछ जैविक अणु जैसे प्रोटीन वसा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण कर धीरे-धीरे किस प्रकार नाभिकीय अम्लों का निर्माण हुआ व एक जीवित संरचना जीवाणुओं और विषाणु का विकास हुआ। प्रारंभ में पृथ्वी का वातावरण कुछ ऐसा ही था जो जीवन की उत्पत्ति में सहायक था ऐसा माना जाता है? कि जीवन की उत्पत्ति जल में कोएसर्वेट अणुओं के रूप में हुई फिर सरल कोशिका से जटिल जंतुओं का धीरे-धीरे का विकास हुआ। विभिन्न पौधे व जंतु अस्तित्व में आए। उन्होंने बताया कि जितने भी जीव है, सभी कोशिकाओं से मिलकर बने हैं। कोशिकाएं शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। कोशिका में वह सभी क्रियाएं होती हैं, जो कोई एक जीव करता है। इनमें भोजन, उत्सर्जन, विकास शामिल हैं। विकसित जंतुओं की अगर बात करें, तो उनमें कोशिकाएं कई प्रकार की होती हैं। न्यूरांस, रक्त कोशिकाएं, एपिथेलियल कोशिकाएं इत्यादि। प्रत्येक प्रकार की कोशिका विशेष होती है।
पायरेक्सिया शरीर विज्ञान में थर्मोडाइनैमिक्स शरीर में उत्पन्न दर्द एवं व्याधियों की स्थिति में न्यूरो ट्रांसमीटर एवं अन्तःस्त्रावी रसायनों के प्रकारए कार्य एवं प्रभावों की भी व्याख्या की गई। अनामिका ने आत्महत्या के समय होने वाले मानसिक और रासायनिक परिवर्तनों के बारे में पूछा। डा हुंडैत ने बताया कि मानव शरीर में भावनात्मक, शारीरिक व दिमागी रूप से चक्र चलते हैं। उन्होंने बायोरिदम और आवर्ती चक्र के संबंध में भी विशेष जानकारी दी। चंदन कुमार व सुखालू नेताम ने भी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। डा एमएल नायक ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डा हुंडैत ने अपने ज्ञान के प्रकाश से सबका मन मोह लिया।
निधि सिंह के आमंत्रण पर मधुकर ने पूछा कि स्लीपिंग पैरालिसिस क्या है। लक्षणों के आधार पर डा हुंडैत ने उसकी जानकारी दी। दिनेश दीक्षित प्रश्न किया की प्रतिरक्षा तंत्र पर पर्यावरण का क्या प्रभाव पड़ता है और दूसरे ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति का के आधार हो सकता है। डा हुंडैत ने बताया कि प्रदूषण से मुक्त वातावरण स्वास्थ्य लाभ देते हैं। पृथ्वी पर जैसे कार्बन जीवन उत्पत्ति का आधार है, हो सकता है, कि दूसरे ग्रहों पर सिलिकन जीवन की उत्पत्ति का आधार बने। पीसी रथ ने पूछा कि पैरालाइसिस या कोमा की अवस्था में तंत्रिका तंत्र किस तरह से कार्य करता है। डा हुंडैत ने कहा जब सामान्य रूप से संचार प्रक्रिया रुक जाती है, उस समय पैरालिसिस की अवस्था उत्पन्न होती है।
विश्वास मेश्राम एवं निधि सिंह ने प्रतिभागियों को आभार ज्ञापित किया। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सचिव डा वाईके सोना ने कहा कि विज्ञान सभा की कोशिश होती है, कि विभिन्न ज्ञानवर्धक बातें सभी वर्गों विशेषता विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाए। आगामी दिनों में भी इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक व्याख्यानओं का आयोजन किया जाएगा। व्याख्यान्न में डा अशोक प्रधान, एसआर आजाद डा सुशील दत्ता अंजू मेश्राम, अजय भोई, हरकेश दंडसेना समेत छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के विभिन्न इकाइयों के सदस्यों समेत 30 कालेजों के छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया।