रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हालत पतली

न्यूज एक्शन। जिले की सुरक्षित विधानसभा सीट रामपुर जहां से कांग्रेस और भाजपा शासन काल में मंत्री रहे नेताओं की कर्म भूमि है। यहां पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक है। लेकिन उनकी हालत पतली बताई जा रही है। कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच गुस्सा बना हुआ है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पिछले कार्यकाल में उनके द्वारा क्षेत्र में विकास कार्य की अनदेखी की गई है। वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी और जकांछ प्रत्याशी के बीच मुकाबले की चर्चा आम लोगों में बनी हुई है। आमतौर पर रामपुर विधानसभा क्षेत्र वैसे भी विधायक चुनने में समय-समय पर बदलाव करता रहा है और पुराना रिकार्ड फिर एक बार दोहराया जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
जिले की रामपुर विधानसभा क्षेत्र से किसी समय अविभाजित मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे स्व. प्यारेलाल कंवर और ननकीराम कंवर के बीच ही मुकाबला होता रहा है। 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर ननकीराम ने विधायक बनने का गौरव हासिल किया था। लेकिन उसके बाद प्यारेलाल कंवर फिर निर्वाचित हो गए। इन दोनों के बीच ही मुकाबला होता रहा और प्यारेलाल कंवर तो कभी ननकीराम विजयी होते रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार प्यारेलाल कंवर के निधन के बाद कांग्रेस ने उनके भाई और रिटायर्ड डीएसपी श्यामलाल कंवर को चुनाव मैदान में उतारा । उन्होंने ननकीराम कंवर को शिकस्त देकर विधायक तो बन गए लेकिन उसके बाद उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल उठने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अब तक जारी है। श्यामलाल कंवर के ऊपर स्थानीय लोगों का आरोप है कि एक चौकड़ी से घिरे रहते है और आम लोगों से दूरी बना रखी है। इतना ही नहीं स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकार करते है कि निष्ठावान कांग्रेसियों की उपेक्षा श्री कंवर कार्यकाल में हुई है। वहीं विकास कार्यो को लेकर भी जनता में नाराजगी है। सबसे बड़ा मुद्दा हाथी का है। रामपुर विधानसभा क्षेत्र जिले के सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र में माना जाता है और उनके उत्पात को रोकने के लिए विधायक द्वारा कोई पहल नहीं करने का आरोप स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है जबकि विधायक सदा सत्तारूढ़ दल पर रामपुर क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाते रहे है। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के संदर्भ में स्थानीय ग्रामीणों का यह मानना है कि सत्ता में रहे या न रहे लेकिन वह क्षेत्र के लिए सक्रिय रहते है। उनके द्वारा स्थानीय लोगों की समस्याओं समय-समय पर उठाया जाता रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों को कटघरें में खड़े करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते है जो उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ऐसे व्यक्ति को पिछली बार बदलाव के नाम पर नहीं चुनकर अब पछतावा हो रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान आम आदमी सीधे उनसे संपर्क कर सकता था और आज भी कर रहा है। ननकीराम की अपनी कार्यशैली रही है। जो ग्रामीणों को पसंद आती है।
आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रामपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने अपना उम्मीदवार फूलसिंह राठिया को बनाया है। आजादी के बाद से यहां पर राठिया समाज की बहुलता होने के बाद भी किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया गया और कंवर समाज से ही प्रत्याशी बनाया जाता रहा है। राठिया समाज से प्रत्याशी बनाए जाने के कारण यहां पर जकांछ सीधा मुकाबले में आ गई है। समाज के लोगों में भी अपने समाज से प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। फूल सिंह राठिया समाज के अंदर एक अलग पहचान बनाने के साथ ही क्षेत्र के लोगों में भी उनकी पकड़ बनी हुई है। पहले भी जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य चुने जा चुके है। फूल सिंह राठिया की सक्रियता ने उन्हें पूरी तरह से मुकाबले में ला दिया है। जानकारों की मानें तो रामपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और जकांछ के बीच ही मुकाबला नजर आ रहा है। जबकि कांग्रेस यहां पर तीसरे स्थान पर सिमटती नजर आ रही है। हालांकि मतदाता का रूख किस करवट बैठेगा यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि 11 दिसंबर को होने वाली मतगणना के परिणाम से रामपुर विधानसभा क्षेत्र से एक नया सूरज आकाश फलक पर नजर आएगा।
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