परसा कोल ब्लॉक की पर्यावरण जन सुनवाई में शिवसेना ने नयी खदान पर जताया कड़ा विरोध

कोरबा। परसा कोल ब्लॉक के एक्सटेंशन हेतु पर्यावरण जनसुनवाई का आयोजन 2 अगस्त को सरगुजा जिले के ग्राम परसा में किया गया, जिसमें शिवसेना ने नई खदान खोलने का कड़ा विरोध किया। शिवसेना छत्तीसगढ़ द्वारा पूर्व से ही हसदेव अरण्य क्षेत्र के वनों की कटाई का विरोध करते आ रहा है।
जनसुनवाई में विरोध के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष रवि मैजरवार द्वारा वन क्षेत्र की कटाई का कड़ा विरोध करते हुए यह कहा गया कि जिन वृक्षों की कटाई आज की जा रही है वे वृक्ष 25 साल 30 साल 50 साल और कई तो 100 साल पुराने हैं। इन वृक्षों की कटाई के पश्चात जो नए पौधे लगाए भी जाएंगे उन्हें वर्तमान की हरियाली अवस्था में पहुंचने के लिए 50 से 60 वर्ष लग जाएंगे। इसका मतलब साफ है की इन वृक्षों की कटाई के पश्चात हमें वर्तमान की अवस्था तक पहुंचाने के लिए भी 30 से 40 वर्ष और इंतजार करना पड़ेगा। जबकि पर्यावरण असंतुलन को देखते हुए भारत ही नहीं पूरा विश्व भी वृक्षों के बचाव और पर्यावरण के असंतुलन से लोगों को बचाने के लिए वृक्षारोपण पर जोर दे रही है। जिन लोगों ने यह कहकर कि अडानी के आने से उनके जीवन का स्तर ऊंचा हुआ है इस कोल ब्लॉक का समर्थन करते हैं उनसे यह कहना चाहता हूं कि इस कंपनी का विकास खदान के रहने तक ही होगा, जिसकी उम्र अधिकतम 10 वर्ष होगी, उसके पश्चात जो आपने विनाश कराया है प्रकृति उसका फल आपको देगी और उस वक्त आपके पास पश्चाताप के अलावा कुछ भी नहीं रह जाएगा।
इसी कड़ी में कोरबा जिला महासचिव रवि श्रीवास द्वारा कहा गया कि वृक्ष और मानव दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। लगभग 2 लाख वृक्षों की कटाई का सीधा सा मतलब है मानव जीवन पर प्रतिकूल असर। अत: हम इस पर्यावरण जनसुनवाई में परसा कोल ब्लॉक एक्सटेंशन का घोर विरोध करते हैं। जनसुनवाई के विरोध में कोरबा जिले से वरिष्ठ शिव सैनिक राधे विश्वकर्मा, दयाशंकर सिंह, शेर बहादुर क्षत्रिय, राजा केसरवानी, प्रशांत निमजा, सोनचरण साहू ने बढ़ चढक़र विरोध किया।

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