जन्म के बाद बच्चा नहीं रोया तो नई पद्धति से हुआ उपचारः डा.नामदेव
कोरबा 18 मई। पैदा होने के बाद बच्चे की रोने की आवाज सुनकर प्रसव को सफल माना जाता है। कोरबा जिला मेडिकल कालेज अस्पताल में डिलीवरी के बाद पांच मिनट तक नहीं रोया। चिकित्सकों ने सूझबूझ से अस्पताल में उपलब्ध नए तकनीकी मशीन से उपचार किया तब कहीं जाकर बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी है। अस्पताल के एसएनसीयू में मासूम का उपचार डाक्टरों के देखरेख में करीब 13 दिनों तक चलता रहा। वर्तमान में वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
उरगा क्षेत्र में रहने वाले राजेश चंद्राकर की पत्नी दीप्ति चंद्राकर को एक मई प्रसव पीड़ा शुरू हो गया। गर्भवत को मेडिकल कालेज अस्पताल लाया गया। ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रसूता का सामान्य डिलीवरी तो करा लिया, लेकिन जन्म के पांच मिनट बाद भी मासूम के मुंह से आवाज नहीं निकली। चिकित्सक आशंकित हो गए। इसके बाद स्वास्थ्य कर्मी मासूम को तत्काल एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) लेकर पहुंचे, जहां मेडिकल कालेज में शिशु रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. हेमा नामदेव ने मासूम को एसएनसीयू में भर्ती करते हुए गहनता से जांच की। इसके बाद अपनी टीम के साथ मासूम को अस्पताल में उपलब्ध कीमती अत्याधुनिक उपकरण का इस्तेमाल नवीन पद्धति से उपचार शुरू कर दिया।
डा. नामदेव ने बताया कि अस्पताल में जिस तरह की तकनीकी मशीन की सुविधा है वह चुनिंदे अस्पताल में उपलब्ध है। खर्च की बात करें तो प्रतिदिन औसतन छह हजार रूपए होते हैं, जबकि मेडिकल कालेज अस्पताल में कोई खर्च नहीं है। डा. नामदेव ने यह भी बताया कि अस्पताल में नवीन पद्धति से पहली बार उपचार किया गया है। इस उपकरण के सहयोग से जन्म दौरान तरीके से बच्चे मस्तिष्क का मेटाबालिज्म को कम किया जाता है और बच्चे पर आघात का असर कम होता है।