तेंदूपत्ता शाखकर्तन पर मौसम की मार
1.31 लाख मानक बोरा संग्रहण में जुटेंगे 78 वन समिति
कोरबा 20 मार्च। प्रदेश सरकार ने तेंदू पत्ता की खरीदी कीमत 4,000 से बढ़ाकर 5,500 रूपये कर प्रति मानक बोरा कर दिया गया है। प्रति मानक बोरा 1,500 रूपये खरीद कीमत में वृद्धि की गई है लेकिन कटघोरा व कोरबा दोनों वन मंडलों मे संग्रहण लक्ष्य 1.31 लाख मानक को यथावत रखा गया है। कीमत बढ़ने के साथ ही संग्राहकों की संख्या भी बढ़ने लगी है। तेंदूपत्ता तोड़ने वाले परिवारों को आस थी कि पत्ते की कीमत के साथ लक्ष्य में भी बढ़त की जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। साख कर्तन में मौसमी मार व लक्ष्य में वृद्धि नहीं किए जाने से संग्राहको में बढ़ी कीमत के बाद निराशा देखी जा रही है।
तेंदू पत्ता संग्रहण के लिए साख कर्तन काम 15 मार्च से शुरू होने के बाद अंतिम चरण की ओर है। संग्राहकों में तेंदू पत्ता के एवज में मिलने वाली राशि को लेकर उत्साह थी वह सीमित लक्ष्य के चलते निराशा में परिवर्तित हो गई है। उपर से मौसमी परिवर्तन के साथ ओला वृष्टि ने नए पत्तों के तैयार होने में बाधा उत्पन्न् कर दी है। वन परिक्षेत्र में तेंदू रोपणी में लगातार आ रही कमी की वजह से अब संग्रहण पर इसका असर होने लगा है। भले शासन की ओर से तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में लगातार बढ़ोतरी की जा रही किंतु तेंदू के सिमटते वन परिक्षेत्र के संरक्षण में ध्यान नहीं दिया जा रहा। जंगल में इन दिनों महुआ संग्रहण के लिए पेड़ के नीचे आग भी लगा दी जा रही। आगजनी की घटना प्रति वर्ष कई हजार छोटे पौधे पल्लवित होने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं। संग्रहण वर्ष 2023 में कोरबा वन मंडल में 38 समिति गठित की गई थी। बीते वर्ष 54 हजार 100 मानक बोरा पत्ता खरीदी का लक्ष्य दिया गया था। इसी तरह कटघोरा वन मंडल में 78 हजार मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। अब जबकि वर्ष 2024 में पत्ते की कीमत में बढ़त की गई है किंतु लक्ष्य को यथावत रखा गया है। वजह यह है कि तेंदूपत्ता नर्सरी परिक्षेत्र में घटने से संग्रहण लक्ष्य को बढ़ाना मुश्किल है। जंगल में संग्रहण क्षेत्र कम होने से प्रत्यक्ष असर संग्राहको पर पड़ेगा। वन विभाग से प्रति वर्ष लाखों की तादात में पौधा रोपणी का दावा किया जाता है। इसमें तेंदू की नर्सरी भी शामिल है। संग्रहण लक्ष्य में आ रही कमी चिंता का विषय बना हुआ है। एक ओर संग्राहकों की तादात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है वहीं संग्रहण लक्ष्य कम होने से अपेक्षित लाभ से लोगों को वंचित होना पड़ेगा। कोरबा वन मंडल के वनोपज संग्रहण के नोडल अधिकारी एसएस कंवर का कहना है कि शाखकर्तन का काम लगभग पूरा किया जा चुका। मौसम परिवर्तन का इस पर असर नहीं होगा।
दावानल नियंत्रण करने संग्रहण समितियों के साथ वन अमले का सहयोग नहीं होता। यही वजह है कि संग्रहण के लायक पौधें दावानल के चपेट मे आकर नष्ट हो जाते है। दावानल पत्तों के पल्लवित होन के लिए सहायक होते हैं। दावानल अधिक समय तक बरकरार रहने से लगातार तेंदू पौधों की तादात में कमी आ रही है। तेंदू पत्ता रोपण विस्तार के लिए वन विभाग से अपेक्षित पहल नहीं किए जाने की वजह से तेंदू पत्ता बाहुल्य क्षेत्र वन परिक्षेत्र से सिमटती जा रही है।
वन परिक्षेत्रो हाथियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पसान, कुदमुरा, केंदई, एतमा नगर आदि हाथी प्रभावित क्षेत्र होने से यहां हर पल खतरा बना रहता है। तेंदूपत्ता के संग्रहण के साथ महुआ व चार का सीजन होने की वजह से हाथियों की धमक कभी भी होने की संभवाना बनी रहती है। इस वर्ष संग्रहण दर में वृद्धि होने जंगल में संग्राहकों की संख्या बढ़ जाएगी। वनोपज संग्रहण के दौरान सुरक्षा सुविधा वन विभाग से नहीं कराए जाने से अक्सर वनवासियों को जान से हाथ धोना पड़ता है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को भाजपा शासन के पूर्व कार्यकाल में चरणपादुका प्रदान करने की योजना की शुरूआत की गई। कांग्रेस के कार्यकाल में यह योजना पांच साल तक बंद रही। इस वर्ष योजना के शुरू होने की संभावना जताई जा रही थी। एक मई से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो जाता है। जब तक संग्रहण का काम जारी होगा तब आदर्श आचार संहिता जारी रहेगा। ऐसे में चरण पादुका वितरण होना संभव नहीं है। संग्राहकों योजना का लाभ आगामी वर्ष में मिल सकता है।