बेमौसम वर्षा से सब्जी की खेती चौपट, प्रशासन ने शुरू नहीं किया आलकन
कोरबा 08 दिसम्बर। तीन से लगातार हो रही बेमौसम वर्षा ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। पंडरीपानी, बेंदरकोना, कुरूडीह सहित शहर के निकट सब्जी की खेती करने वाले किसानों के 240 एकड़ खेत व बाड़ियों में लगी फसल कीट प्रकोप की वजह से चौपट होने के कगार पर है। धान की फसल को कटाई कर जिन किसानों ने खेत में रखा है वे गीला होने कारण उठाव नहीं कर पा रहे हैं। प्रशासन ने अभी तक नुकसानी आकलन की शुरूआत नहीं की है। वर्षा ऐसे जारी रही तो पके फसल से धान के झड़ने व अंकुरण आने की आशंका बढ़ गई।
वर्षा आश्रित खेती करने वाले किसानों के लिए बेमौसम वर्षा ने समस्या खड़ी कर दी है। तीन दिन से हो रही वर्षा थमने का का नाम नहीं ले रहा। सबसे अधिक नुकसान धान और सब्जी की फसल को रही है। पंडरीपानी के किसान मिलाप राम पटेल का कहना है कि उसने खेत में पत्ता और फूल गोभी की फसल लगा रखी है। वर्षा के चलते कीट प्रकोप बढ़ गया गया है। गोभी के भीतर पानी भरने के कारण सड़ने के कगार पर आ गया है। पंडरीपानी के महिला किसान धनकुंवर का कहना है कीट प्रकोप ग्रसित सब्जियों में वर्षा के दवा का छिड़काव संभव नहीं है। तीन एकड़ में लगी भाजी की खेती नष्ट हो गइ है। रिस्दी निवासी किसान बुधराम का कहना है कि धान की फसल को कटाई कर तीन दिन से खेत में रखे हैं। वर्षा के कारणर उठाव करना मुश्किल है। उधर जिन किसानों ने फसल को खलिहान में रखा है, वे जमीन गीली होने के कारण मिसाई नहीं कर पा रहे हैं। पिछले तीन दिनों के भीतर हुई वर्षा का आकलन करें जिले में 264.1 मिली मीटर वर्षा हो चुकी है। सर्वाधिक 142.2 मिलीमीटर वर्षा बुधवार को हुई। वहीं गुरूवार की शाम तक 99.8 मिली मीटर वर्षा दर्ज की गई है। जारी वर्षा फसल सुरक्षा की दृष्टि से हानिकारक है।
धान उपार्जन केंद्रों में खरीदी कार्य पिछले तीन दिनों से ठप है। नमी होने की वजह से अभी खरीदी भी संभव नहीं। उपार्जन केंद्र से धान वापस कर देने की आशंका से किसान बिक्री करने नहीं पहुंच रहे हैं। बताना होगा कि नवंबर से शुरू धान खरीदी को 37 दिन बीत चुके हैं। अभी तक 1.20 लाख धान की खरीदी हुई। उपार्जन केंद्रों में शेड नहीं होने की वजह से खुले आसमान के नीचे रखे धान तिरपाल में ढंककर रखा गया है। ड्रेनेज नहीं बिछाए जाने से वर्षा जल से धान भीग रहे हैं।
तीन दिन से हो रही वर्षा ग्रीष्म फसल की तैयारी ठप हो गई है। नंवबर माह बीत चुका है अभी तक गेहूं की बोआई शुरू नहीं हुई है। इसकी बोआई के लिए 15 नवंबर से 15 दिसंबर के समय को उपयुक्त माना जाता है। कड़ाके की ठंड बोआई के लिए उपयुक्त होता है। वर्षा के कारण वातावरण ठंड का असर कम है। प्रतिकूल मौसम होने की वजह से किसान गेहूं की बोआई नहीं कर पा हैं। गेहूं के चलावा चना, मक्का और मूंगफली की बोआई भी पिछड़ रही है।
जिले के 1.24 लाख किसान 1.13 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करते हैं। इस वर्ष मानसून आगमन में हुई देरी कारण रोपाई का काम पिछड़ गया। जिसका नतीजा धान कटाई में देरी के रूप में सामने आया है। अभी भी 35 हजार से भी अधिक किसानोें धान की कटाई नहीं की है। 40 हजार हेक्टेयर में लगा फसल अभी भी खेतों पड़ा है। खेत में पानी भर जाने की वजह से खलिहान तक लाना मुश्किल हो गया है। सब्जियों के फसल को जिस तरह से वर्षा से नुकसान हो रही है उससे आगामी दिनों कीमत में वृद्वि की आशंका बनी है। नवंबर से जनवरी माह को सब्जी उत्पाद के लिए बेहतर माना जाता है। मौसम खराब होने की वजह उपज भी कीट प्रकोप की भेंट चढ़ है। टमाटर, बैगन, भिंडी जैसे फसल तैयार होने के पहले खराब होने के कारण अभी से इनमें महंगाई की मार देखी जा रही है।