स्वीप अभियान के बाद भी 2.25 लाख मतदाताओं ने नहीं डाले वोट

जागरूकता में कमी या सरकारी मशीनरी विफल

कोरबा 18 नवम्बर। क्या ऐसा नहीं लगता कि विधानसभा निर्वाचन 2023 में निर्वाचन आयोग और प्रशासन की बहुत सारी कोशिशों का रंग सही तरीके से नहीं चढ़ सका। कोरबा जिले में 75 प्रतिशत के आसपास हुए मतदान से ऐसा लगना स्वाभाविक है। 2.25 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने इस चुनाव में मतदान नहीं किया है। इनमें पुरुष और महिला दोनों श्रेणी के मतदाता शामिल हैं।

17 नवंबर को दूसरे चरण में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कराया गया। कोरबा जिले की 4 सीटों पर 51 प्रत्याशी थे। इन्हें चुनने की जिम्मेदारी 9 लाख 14 हजार 081 मतदाताओं की थी। सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया। चुनाव को लेकर उत्साह दिखा जरूर लेकिन वैसा फिर भी जिसकी आशा व्यक्त की जा रही थी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं को हर हाल में मतदान के लिए तैयार करने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए लगातार प्रेरित किया गया। भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा पिछले कई वर्षों से स्वीप प्लान संचालित किया जा रहा है। सुव्यवस्थित मतदान और निर्वाचन प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की मंशा से चलाए जा रहे इस अभियान को स्वीप नाम दिया गया है। यह भारत सरकार के निर्वाचन आयोग की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल है जिसे मतदाता साक्षरता के अंतर्गत भी लगातार प्रोत्साहित किया गया। कोरबा जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना, स्काउट गाइड के साथ-साथ अनेक सरकारी और स्वैच्छिक संगठनों की सेवाएं इस अभियान में ली गई। स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी भी इसका हिस्सा बने। अभियान के अंतर्गत नारा लेखन, क्वीज, निबंध, नुक्कड़ नाटक, रैली और वॉल पेंटिंग जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया। इन सभी गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न श्रेणियों के मतदाताओं को जागरूक किया गया है और इन्हें बताने की कोशिश की गई है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान क्यों जरूरी है और एक-एक मतदाता इसमें अपनी भूमिका किस तरीके से निभा सकता है। पिछले दो महीने से किये जा रहे इन प्रयासों के साथ लगातार प्रशासन ने इस बात पर फोकस किया कि जिले में शत प्रतिशत मतदान संपन्न किया जाए। सबकुछ होने पर भी जिले में औसत 75 प्रतिशत के आसपास मतदान हो सका। 7 लाख से ज्यादा मतदाताओं के द्वारा निर्धारित बूथ पर पहुंचकर मताधिकार का प्रयोग किया गया जबकि 2 लाख 25 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने न तो चुनाव को गंभीरता से लिया और न ही मतदान को। ऐसे मतदाताओं ने अलग-अलग कारणों से दूरी बनाई।

कोरबा शहरी इलाके में कालोनियों से लेकर अनेक रिहायशी इलाकों में मतदान दिवस को बड़ी संख्या में लोग मतदान से वंचित रह गए, वह भी अपनी लापरवाही के कारण। सामान्य तौर पर ऐसी धारणा है कि शहरी इलाके के लोग ज्यादा जागरूक होते हैं और वे राष्ट्रीय सरोकार से संबंधित मामलों में उत्साह दिखाते हैं। कोरबा के मिनीमाता गर्ल्स कॉलेज, विद्युत गृह स्कूल, सरस्वती विद्यालय सीएसईबी, सेंट पैलोटी आरएसएस नगर समेत अनेक स्थानों पर बनाए गए मतदान केंद्रों से जो तस्वीरें सामने आई उनमें कहा गया कि बड़ी संख्या में लोग सिर्फ इसलिए मतदान से वंचित रह गए क्योंकि वे सुबह से शाम तक दूसरे काम में लगे रहे और शाम 5 बजे के बाद मतदान केंद्र पहुंचे थे। इस स्थिति में निर्वाचन टीम ने उन्हें महत्व नहीं दिया और सही कारण बताने के साथ बाहर से चलता कर दिया। इससे अलग एसईसीएल और अन्य कार्पोरेट कंपनी के सैकड़ों कर्मचारी प्रशिक्षण के बाद भी वोट नहीं डाल सके। इन लोगों की वोटिंग पर्ची में पहले से ही लाल रंग से पीबी अंकित कर दिया गया जबकि इन लोगों को इस विकल्प के अंतर्ग मतदान करने के लिए आवश्यक जानकारी भी नहीं दी गई। यह मामला गरमाया हुआ है और हो सकता है कि किसी न किसी स्तर पर यह जानकारी निर्वाचन आयोग तक भी पहुंचे।

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