गली गली में शोर है @ गेंदलाल शुक्ल

गली-गली में शोर है,
लोकतंत्र के मंदिर में
घुस आया चोर है.!

कलफ लगे कपड़ों में
चेहरा जो दमक रहा
शहर के मस्तक पर
टीका सा चमक रहा
लूटेरों के बाजार में
वो, फेमस घनघोर है.!

गली-गली में शोर है,
लोकतंत्र के मंदिर में
घुस आया चोर है.!

द्वार-द्वार घूमकर
पांव जो पकड़ता था
हर एक देहरी पर
नाक जो रगड़ता था
उसी की मर्जी से
अब फैलता अंजोर है.!

गली-गली में शोर है,
लोकतंत्र के मंदिर में
घुस आया चोर है.!

मंगतू का नाम कैसे
हो गया लखटकिया
सुस्तराम कुर्सी पा
हो गया फटफटिया
नेताजी हो गए चाँद
अब वोटर चकोर है.!

गली-गली में शोर है,
लोकतंत्र के मंदिर में
घुस आया चोर है.!

सड़क, बिजली, पानी का
जब अर्जी लगाओगे
साहब का साइन लेने
जब बंगले में जाओगे
विस्मय से देखोगे, वहां
चमचों- दलालों का जोर है.!

गली-गली में शोर है,
लोकतंत्र के मंदिर में
घुस आया चोर है.!

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