करील निकाल रही दो महिलाओं को हाथी ने सूंड से पटक कर मारा, युवक ने भागकर बचाई जान

हाथी अभयारण्य का काम सुस्त, लगातार हो रही घटना

कोरबा 11 सितम्बर। कटघोरा वनमंडल के केंदई वन परिक्षेत्र अंतर्गत कोरबी के मातिन दाई मंदिर के निकट जंगल में एक हाथी ने सूंड से पटक कर दो महिलाओं की जान ले ली है। यह घटना रविवार की सुबह उस समय हुई जब कुछ महिलाएं जंगल के बांस की नर्सरी में करील निकाल रही थी। महिलाओं के साथ मौजूद मामा-भांजा को भी हाथी ने दौड़ाया। इस घटना में मामा घायल हो गया। वहीं भांजा भागने में सफल रहा। क्षेत्र में दहशत का माहौल देखा जा रहा है।

जिले के वनक्षेत्रों में हाथी मानव द्वंद्व थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरबी के निकट जंगल में दल से बिछड़े हाथी ने जमकर कर कहर बरपाया है। कोरबी निवासी राजकुमारी 39 व पुन्नीबाई 58 रिश्ते में ननद भाभी हैं। दोनों करील तोडऩे मातिन दाई मंदिर के निकट जंगल में गई थीं। उनके साथ राजकुमारी का पति नरसिंह व पुन्नी का पुत्र यानी भांजा दीपक भी साथ में थे। चारों करील निकालने इतने व्यस्त थे कि जंगल की ओर से लोनर हाथी के आने का पता ही नहीं चला। एकदम निकट आने पर सबसे पहले हाथी पर नजर दीपक की पड़ी। वह अपने मामा-मामी और मां को सतर्क करते हुए भागने लगा। नरसिंह जब तक संभलता तब तक हाथी उसके निकट आ पहुंचा था। हाथी के धक्का देने पर गिरते पड़ते भागने में वह सफल रहा पर इस दौरान चोट आई। पुन्नी व राजकुमारी करील निकालने के कारण बांस के झुरमुट के अंदर थे। वे दोनों बाहर निकल कर भागते इससे पहले हाथी ने दोनों को सूंड से उठाकर पटकना शुरू किया। उधर दूर से घटना को देख रहे दीपक और नरसिंह के शोर मचाने से आसपास खेतों में काम कर रहे लोगों की भीड़ इकट्टठी हो गई। लोगों को देखकर हाथी भाग खड़ा हुआ। निकट जाने पर लोगों ने पाया कि पुन्नी बाई की मौत हो गई। वहीं राजकुमारी की सांस चल रही थी। आनन-फानन में 112 को बुलाया गया। राजकुमारी व घायल नरसिंह को कोरबी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, लेकिन राजकुमारी की रास्ते में मौत हो गई। वहीं नरसिंह का इलाज जारी है। वन विभाग ने प्राथमिक सहयोग के तौर पर दोनों मृतक के स्वजनों को 25-25 हजार रूपये का सहयोग दिया है। घटना के बाद से आसपास के गांंवों में सन्नाटा पसर गया है। इस घटना से लोगों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है।

अगस्त-सितंबर माह में बांस की नई कोपलें निकलती है। आदिवासी क्षेत्रों में इसे करील के नाम से जाना जाता है। जिसे सब्जी बनाकर खाते हैं। हाथी बांस के पत्तों के अलावा कोमल डंठल को भी खाते हैं। करील को तोडऩे से गंध फैलने लगती और उसका अनुशरण करते हुए हाथी तोडऩे वालों तक पहुंचा था। बताना होगा कि बांस नर्सरी से करील निकालना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद बाजार में इसकी खुलेआम बिक्री हो रही है। मामले में वन विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से लोगो बेखटके जंगल के भीतर घुसकर करील निकाल रहे हैं। इस दौरान हाथी से आमना सामना होने लोगों जान से हाथ धोना पड़ रहा है।कटघोरा व कोरबा वन मंडल जून से अगस्त माह के भीतर हाथियों ने 619 किसानों के 1,223 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचा है। वहीं 182 आवासों को तोड़ा है। विभागीय अधिकारियों की माने तो प्रभावित के मुआवजे के प्रकरण बनाने की प्रक्रिया जारी है। बीते वर्ष की तुलना में अब तक हुई फसल क्षति 182 एकड़ अधिक है। जनवरी माह से अब तक हाथियों ने दोनों वनमंडलों से चार लोगों की जान ले ली है। हाथियों लगातार बढ़ रही संख्या से जन-धन की हानि भी बढ़ रही है।

लगातार बढ़ रहे उत्पात लोगों को ही नहीं बल्कि हाथियों के लिए भी खतरा बढ़ रहा है। बीते वर्ष पसान वन परिक्षेत्र में फसल नुकसान से त्रस्त ग्रामीणों हाथी के बच्चे को मौत के घाट उतार दिया था। जमीन में दबा कर उपर से धान फसल की रोपाई कर दी थी। वन विभाग की टीम ने शव को बाहर निकलवा पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके अलावा शहर के भीतर हाथियों के दल की दखल व जांजगीर चांपा से होते हुए बिलासपुर विचरण की घटना सामने आ चुकी है। फसल नुकसान, ग्राीमणों के मौत की पुनरावृत्ति के बाद भी हाथी अभयारण्य जैसी सुरक्षा की कवायद सुस्त गति से चल रही है।

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