चिरंतन काल से जारी है रक्षाबंधन की परंपरा, आरएसएस ने अनेक स्थानों पर मनाया पर्व
कोरबा 30 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने कार्यों के साथ वर्ष में प्रमुख 6 उत्सव मनाता है। इन्ही में से एक वर्ष के तीसरे उत्सव के अंतर्गत रक्षाबंधन पर विभिन्न सरोकार दिखाये गये। संघ स्थान के साथ-साथ स्वयं सेवकों ने सेवा बस्तियों में पहुंच बनाई और समाज के साथ खुशियां साझा की। परस्पर रक्षा के संकल्प को दोहराया गया। राजगुरू प्रभात शाखा में मुख्य अतिथि सत्येंद्र दुबे, विभाग संघचालक ने अपनी बात रखते हुए रक्षाबंधन को पौराणिक से लेकर वर्तमान संदर्भ में रेखांकित किया और इसकी महत्ता स्पष्ट की।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कपोलकल्पित चीजों को इस पर्व के संदर्भ के साथ इतिहास में जोडऩे की गैर जरूरी कोशिश वामपंथी साहित्यकारों के द्वारा बीते वर्षों में की गई है और यह हिन्दू समाज को पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि द्वापर युग में सुदर्शन चक्र चलाने के दौरान भगवान कृष्ण की अंगुली को क्षति पहुंचने पर द्रौपति ने बिना देर किये अपनी साड़ी के एक हिस्से से रक्षा की थी। समय आने पर श्री कृष्ण ने चीरहरण की घटना के दौरान न केवल सहायता की बल्कि अस्मियता का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि चिरंतन काल से रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता रहा है। इसके पीछे बहनों के साथ-साथ भाईयों का भाव है। हम तो यहां तक कहते है कि रक्षा का संकल्प लिया जाये और अन्य प्रपंचों से दूरी बनाई जाये। कोरबा जिले के चिमनीभट्टा, मैग्जिनभाठा, रामपुर समेत अनेक स्थानों पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये। सेवा बस्तियों में स्वयं सेवकों ने वहां के नागरिकों को रक्षा सूत्र बांधकर मूहं मीठा कराया।