तारकासुर का वध कर भगवान कार्तिकेय ने शांति व सुरक्षा स्थापित की: पंडित द्विवेदी
कोरबा 27 अगस्त। औद्योगिक नगर के अंतर्गत एसईसीएल क्षेत्र कृष्णा नगर के चित्रगुप्त मंदिर में द्वितीय सावंन पर शिव महापुराण कथा अनुष्ठान जारी है। भागवताचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने कथा के चतुर्थ दिवस भगवान गणेश की मातृभक्ति और भगवान कार्तिकेय के द्वारा असुरों के वध का प्रसंग सुनाया। बताया गया कि धरती पर जब कभी आसुरी शक्तियों ने अत्याचार किया तो ईश्वरीय सत्ता ने उनका संहार किया।
आरएसएस नगर वार्ड के कृष्णा नगर क्षेत्र के नागरिकों के द्वारा श्रावण मास के उपलक्ष में चित्रगुप्त मंदिर परिसर में श्रीमद् शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है जिसे श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हो रहे हैं। शनिवार को कथा का चतुर्थ दिवस था। कथा वाचक पंडित द्विवेदी ने इस अवसर पर भगवान गणेश के अवतरण से लेकर विशेष रूप से उनकी मातृभक्ति को विस्तार से समझाया और बताया कि हर युग में में माता के प्रति पुत्र का कर्तव्य अत्यंत निष्ठा पूर्ण रहा है । माता के आदेश पर भगवान गणेश ने जो कार्य किया और उसके बाद जो परिस्थितियों निर्मित हुई जिसके परिणाम था उनका सिर काट दिया गया। देवी पार्वती के अत्यंत नाराज होने पर जगदंबा के प्रभाव से आखिरकार गणेश को नवजीवन दिया गया इसलिए वे देवताओं में प्रथम पूज्य बन गए। कथा पंडाल में उनकी झांकी भी निकाली गई।
कथा के अन्तरगत भगवान कार्तिकेय के द्वारा षष्ठी तिथि के दिन ही असुर तारकासुर का वध करने का प्रसंग भी श्रद्धालुओं ने श्रवण किया। आचार्य द्विवेदी ने बताया कि तारकासुर ने अपने कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर दिया था और एक विशेष वरदान हासिल कर लिया जिसके बाद से वह तीनों लोकों पर अत्याचार करने लगा। ऐसे में उसकी सफाई करना बहुत जरूरी हो गया था और इस काम को भगवान कार्तिकेय ने पूरा किया। शिव महापुराण कथा के अंतर्गत समाज और राष्ट्र कल्याण के लिए प्रत्येक नागरिक को प्रेरित किया गया कि वह अपनी निष्ठा पूर्ण भूमिका का निर्माण करें ताकि हम अपने राष्ट्र को सशक्त कर सकें।