कुसमुण्डा-कनकी मार्ग जाम: समय पर विद्यार्थी नहीं जा सके स्कूल, बेलगाम हुई ट्रैफिक व्यवस्था

कोरबा 24 अगस्त। कोरबा शहर के एक हिस्से में जाम लगने की समस्या समाप्त क्या हुई अब इसका फैलाव दूसरे तरफ हो गया है। हफ्ते भर से भी ज्यादा समय से यह संकट कुसमुंडा-कनकी सडक़ पर बना हुआ है। हालात ऐसे हो गए कि वाहनों के जाम में स्कूल बसें फंस गई और चाहकर भी विद्यार्थी समय पर विद्यालय नहीं पहुंच सके। सर्वमंगला तिराहे से लेकर कनकी तक वाहनों के जाम के दृश्य ने इस रास्ते से आना-जाना करने वाले लोगों को रूलाकर रख दिया है। वे काफी समय से इस समस्या से तंग आ चुके हैं। उनके लिए दूसरा रास्ता उरगा होकर उपलब्ध है जिसकी दूरी तय करने से दोगुना समय लगना स्वाभाविक है। ऐसे में कनकी तरदा, कुदुरमाल जैसे क्षेत्रों के लोगों को कोरबा का सफर करने के लिए निर्माणाधीन फोरलेन का रूख करना पड़ रहा है।

जानकारी के मुताबिक रेलवे द्वारा कुसमुंडा से उरगा के मध्य बायपास ट्रैक बनाया जा रहा है। एक जगह पर पुल का निर्माण जारी है। इस चक्कर में कुसमुंडा-कनकी मार्ग पर वाहनों की आवाजाही लगातार बाधित हो रही है। बारिश से हो रहे कीचड़ के अलावा तकनीकी कारण से किसी भी वाहन के फंसने का मतलब यहां पर जाम लगना ही है। गुरुवार को ऐसे ही हालात ने हजारों लोगों को परेशान किया जो अपने-अपने कार्यों से अलग-अलग क्षेत्र के लिए निकले थे। सबसे अधिक मुश्किलें विद्यार्थियों को हुई जिसकी बसें इस जाम में फंस गई। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था इसलिए वाहन से उतरकर मौके पर ही प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई। इससे पहले भी ऐसे चित्र यहां पर देखने को मिल चुके हैं लेकिन विचित्र स्थिति को दूर करने की कोशिश नहीं की जा रही है।

इमलीछापर से सर्वमंगला नगर तिराहे तक फोरलेन सडक़ का काम जारी है। तिराहे के पास अभी भी समस्याएं बनी है। ऐसे में हर रोज ट्रैफिक व्यवस्था बेपटरी हो रही है। जबकि सर्वमंगला मंदिर रेलवे क्रासिंग से कनकी जाने वाले रास्ते पर चल रहे निर्माण कार्यों के कारण व्यवस्था बाधित है। कुल मिलाकर इस रास्ते पर आवाजाही दुष्वारियों से भरी पड़ी है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि यहां पर ट्रैफिक को बेहतर करने के लिए आखिर कोरबा की यातायात पुलिस काम करेगी या कहीं और से बल बुलाना पड़ेगा। अक्सर इस तरह की शिकायतें मिलती रही है कि एंट्री वसूली का काम जिले में जमकर चल रहा है और मूल समस्याओं की तरफ से ट्रैफिक अधिकारी और मातहतों का ध्यान हटा हुआ है।

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