चरमराई विद्युत व्यवस्था: वर्षा की वजह से शहर में पूरी रात बिजली आपूर्ति बंद

कोरबा 07 जुलाई। ऊर्जाधानी से प्रदेश में पहचान बना चुका कोरबा शहर के निवासियों को ही अंधेरे में रात गुजरना पड़ रहा है। वर्षा होने, आंधी चलने या थोड़ा सा बादल गरजने से बिजली हो रही है बंद और कई घंटे बाद बहाल हो रही है। गर्मी में लोड बढऩे से ट्रांसफार्मर उड़ रहे थे, तो वर्षा शुरू होने से इंसुलेटर, तार टूटना आम बात हो गई है। कई बार ट्रांसफार्मर भी खराब हो रहे हैं। रात में हुई वर्षा की वजह से शहर में पूरी रात बिजली बंद रही।

जिले में विद्युत कंपनी, बाल्को, एनटीपीसी, लैंको व एसीबी के बिजली संयंत्र स्थापित हैं। यहां से उत्पादित बिजली न केवल राज्य बल्कि देश के अन्य प्रदेश में भी आपूर्ति कर रौशन किया जा रहा है, पर कोरबा शहर के लोग अपने ही जिले में सुचारू बिजली आपूर्ति से कोसों दूर हैं। जरा सी हवा चली नहीं कि बिजली गुल हो जाती है। अनेक बार तो हवा भी नहीं चलती, तो भी बिजली गुल रहती है। ऐसा आए दिन हो रहा है। मौसम की बेरुखी से उमस में पसीने से तरबतर लोगों को रात में भी घंटों बिजली नहीं मिल रही। कभी भी तीन से चार घंटे तक बिजली बंद रहना आम बात हो गई हैं। कभी बिजली प्लांट में तो कभी लाइन में कुछ रखरखाव के नाम से घंटों बिजली बंद कर दी जाती है।

बिजली की इस आंख-मिचौली से लोगो की समस्या काफी बढ़ गई है। एक और जहां प्रदेश विद्युत उत्पादन क्षमता में देश में नंबर वन में आ गया है और अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं लेकिन धरातल में सुचारू और निर्बाध वितरण की हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। देर से शुरू हुई वर्षा केवल चार दिन तक हुई और फिर कड़ी धूप निकल रही है। हालांकि बुधवार की देर रात पानी गिरा, इससे गुरूवार को दिन भर उमस भरी गर्मी रही। इससे लोग परेशान रहे। ऐसे में बिजली की आंख-मिचौली के कारण उन्हें पंखा व कूलर भी नही चल सके और राहत नहीं मिल सकी। दिन में तो एक बार चल भी जाता है लेकिन रात में भी अव्यवस्था अंचल को चैन की नींद सोने नहीं दे रही। शहर से लेकर गांव तक सब स्थानों का यही हाल है। विद्युत वितरण कंपनी की व्यवस्था से त्रस्त होकर शहर के अधिकांश लोगों ने अपने घर, दुकान व प्रतिष्ठान में बैटरी इन्वर्टर लगा रहे हैं। ताकि परंपरागत बिजली बंद होने पर अंधेरे में न रहना पड़े, पर घंटो बिजली बंद होने से बैटरी व इंवर्टर भी जवाब दे रहे हैं, क्योंकि बैटरी की क्षमता अधिकतम तीन से चार घंटा ही रहती है, इसके बाद वह भी बंद हो जाती है।

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