कौन है यह शख्स ? जिसे एन एच का डायरेटर बता विधायक ननकीराम कंवर को विवादित बनाने का किया गया प्रयास

यह फोटो किसका है? कौन है यह व्यक्ति जिसे चाम्पा – कोरबा एन एच का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बताकर आधा अधूरा वीडियो वायरल कर रामपुर क्षेत्र के भाजपा विधायक ननकीराम कंवर को विवादित और बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है? पूरे विवाद में इस व्यक्ति की क्या भूमिका है? विधायक कंवर के खिलाफ साजिश में कौन कौन शामिल हैं? चुनावी साल में कानून और व्यवस्था की स्थिति निर्मित करने का प्रयास कौन कर रहा है? क्या प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच कराएगा?

कोरबा 27 जून। चाम्पा- कोरबा- कटघोरा राजमार्ग के मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर को बदनाम करने की गहरी साजिश रची गई है। यह साजिश किसने रची और इसमें कौन- कौन शामिल हैं, इस बात की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच की जरूरत है।

दरअसल तीन दिन पहले रात के वक्त पटाढ़ी गांव में बुलडोजर चलाकर कुछ ग्रामीणों के घर तोड़ दिए गए। दूसरे दिन ग्रामीणों ने इस बात की जानकारी क्षेत्रीय विधायक ननकीराम कंवर को दी। उन्हें बताया गया कि रात में जिन ग्रामीणों का घर तोड़ा गया है, उन्हें न तो मकान तोड़ने की कोई नोटिस दी गई है और न ही मुआवजा दिया गया है। अब बारिश आ गई है तो उनका मकान तोड़ दिया गया है। विधायक कंवर इस घटना के विरोध में ग्रामीणों के साथ चक्काजाम कर धरना पर बैठ गए। जाम की सूचना पर कोरबा तहसीलदार देवांगन वहां पहुंचे, जिन्होंने विधायक के सामने ही ग्रामीणों को तेवर दिखाना शुरू कर दिया। बात यहीं बिगड़ गई। ग्रामीणों के साथ विधायक ने उन्हें वापस जाओ के नारे लगाकर वापस भेज दिया। मामले में बिना मुआवजा और सूचना दिए ग्रामीणों का मकान तोड़ने की लिखित रिपोर्ट उरगा थाना में देकर सम्बन्धितों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की मांग भी की गई। ग्रामीणों ने मुआवजा भुगतान के एवज में रिश्वतखोरी का आरोप भी लगाया।

इस घटनाक्रम के बाद जिला प्रशासन ने विज्ञप्ति जारी कर ग्रामीणों के आरोपों पर अपनी सफाई दी। लेकिन इससे अलग हटकर विधायक ननकीराम कंवर को लेकर दुष्प्रचार का प्रयास किया गया। बाकायदा एक पूरा समाचार बनाकर विभिन्न माध्यमों से जो कहा गया उसकी वानगी देखिए-

“मामले में भाजपा के विधायक, नेता प्रतिपक्ष और नेशनल हाईवे अथॉरिटी आमने-सामने आ गए हैं। विधायक के एकाएक प्रदर्शन और निर्मित हालातों के बीच एनएच विभाग का कहना है कि बरपाली क्षेत्र के ग्रामीणों को बरगलाया जाकर माहैल खराब किया जा रहा है। विभाग का कहना है कि रामपुर विधायक ननकीराम कंवर पिता पतराम कंवर खुद मुआवजे के तौर पर 2 करोड़ 34 लाख 67 हजार 324 रुपये की राशि ले चुके हैं, पर अब तक उन्होंने अपना राइस मिल नहीं हटाया है।

उधर जब ग्रामीणों ने विधिवत फॉर्म ही नहीं भरा है, तो उनको मुआवजे की रकम भला कैसे जारी होगी, जबकि मुआवजे की रकम पिछले एक साल से आकर रखी हुई है। दूसरी और नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल और ननकीराम कंवर के बल पर ठेकेदार व उसके कर्मचारियों को ग्राम पताढ़ी और बरपाली क्षेत्र के ग्रामीण मार भगाने पर अमादा हैं जिससे कर्मचारी डरे-सहमे हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में खुद भाजपा के विधायक और नेता प्रतिपक्ष ही पलीता लगाने की कोशिश में जुटे हैं।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही पताढ़ी के ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए राजस्व विभाग व एनएच के अधिकारियों समेत निर्माण का कार्य कर रही फर्म गावर कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार के खिलाफ उरगा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। ग्रामीणों का आरोप है कि घरों में सो रहे लोगों को बिना सूचित किए ही रात को पहुंचे प्रशासनिक अमले ने मकान दुकान पर बुलडोजर चलवा दिया। समय रहते वे मकान से बाहर भागे तब जाकर उनकी जान बची। पर एनएच विभाग के अनुसार एनएच के लिए अपनी जमीन देने वाले ग्रामीणों के मुआवजे की राशि पिछले एक साल से आकर रखी हुई है, पर उसके भुगतान की भी प्रक्रिया निर्धारित है। शासन-प्रशासन से निर्धारित पैमानों का पालन तो करना ही होगा, जिसके लिए ग्रामीण तैयार ही नहीं है। ऐसे में मुआवजा कैसे जारी हो सकेगा? दूसरी ओर केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना को जल्द से जल्द पूरा करने में सहयोग की बजाय भाजपा के ही नेता इस तरह रोड़ा खड़ा करने में लगे हैं। यहां तक कि विधायक कंवर व हितानंद अग्रवाल ने ग्रामीणों से यह कहकर रखा है कि जब कभी ठेकेदार या उसके कर्मचारी दिखाई दें, तो उन्हें मारकर गांव से खदेड़ दिया जाए।

जब खराब थी सड़क तब धरना देते, अब एनएच बन रही तो प्रदर्शन क्यों?

एनएन विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना की राह में मुश्किल परिस्थितियां निर्मित कर भाजपा के लोग ही कार्य मे व्यवधान उतपन्न कर रहे हैं। पहले वे क्षेत्र की सड़क खराब होने की बात कहते हुए धरना और विरोध जताते रहे और अब जबकि एनएच की सड़क बनाने का काम किया जा रहा है तो भी बिना कोई ठोस वजह इस तरह का अनर्गल प्रदर्शन किया जा रहा है। इनमें से एक परिवार के घर के सामने एक प्राइवेट एटीएम लगा है। जिसमें उनका आपस में ही पारिवारिक विवाद चल रहा है, जिसकी वजह से इस परिवार को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।

विधिवत दिया जा रहा मुआवजा, निर्माण में सहयोग करें

एनएचएआई प्रोजेक्ट के डायरेक्टर का कहना है कि मुआवजा की राशि उपलब्ध है। विधिवत फॉर्म भरकर कई लोगों ने मुआवजे ले लिए हैं और जिनका पारिवारिक विवाद है, उनके घर के लोगों ने ही नहीं लिया है जबकि ऐसे लोगों को कई बार नोटिस दी जा चुकी है और नोटिस तामिल भी की जा चुकी है। दूसरी तरफ कई ऐसे भी लोग हैं जो मुआवजा लेने के बाद भी निर्माण नहीं हटा रहे हैं। डायरेक्टर ने आग्रह किया है कि जन प्रतिनिधि और जनता निर्माण में सहयोग करें ताकि सड़क का लाभ जल्द मिलना प्रारम्भ हो सके।” उक्त तथ्यों से समझा जा सकता है कि मामले को किस तरह प्रचारित किया गया।

कहा जा रहा है कि विधायक के खिलाफ उक्त प्रचार की जड़ कोरबा तहसील कार्यालय में है। उक्त जानकारी के साथ एक वीडियो भी वायरल किया गया है जिसे एन एच के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का बताया गया। लेकिन उक्त वीडियो एन एच के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डी डी पारलावार का है ही नहीं। डी डी पारलावार ने कोई भी बयान जारी करने से मीडिया में इनकार किया है। फिर वह वीडियो किसका है जिसे एन एच के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डी डी पारलावार का बताया गया? इस व्यक्ति की पहचान कर साजिश की तह तक जाने की जरूरत है।

फाइल फोटो- डी डी पारलावार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चाम्पा कोरबा एन एच

यहां बताना होगा कि विधायक ननकीराम कंवर पर आक्षेप करते उक्त भ्रामक तथ्य का प्रचार करने की मीडिया में होड़ लग गई। तथ्यों की पुष्टि किये बिना ही विधायक कँवर को कटघरे में खड़ा कर दिया गया। सम्पूर्ण सन्दर्भ का उल्लेख किये बिना ही कंवर के इस कथन को भी वायरल किया गया जिसमें वह कहते दिख रहे हैं कि-“कलेक्टर भी आएगा तो मार खाएगा।”

इसी कड़ी में कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनन्द शुक्ला ने भी बयान दे दिया, जबकि उन्हें भी पहले सम्पूर्ण तथ्यों की जानकारी ले लेना था। बहरहाल इस मामले में ननकीराम कंवर के बयान से इतर प्रचार में शामिल तथ्यों की सूक्ष्म जांच कराया जाकर दोषी तत्वों का पता लगाया जाना जरूरी है। यह चुनावी वर्ष है और इस तरह के भ्रामक तथ्यों के प्रचार प्रसार से कभी कानून और व्यवस्था की भी स्थिति निर्मित हो सकती है, जो शासन, प्रशासन और जनहित में नहीं होगा।

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