रोजगार की मांग को लेकर भूविस्थापितों का प्रदर्शन जारी

कोरबा 08 जून। चारपारा क्षेत्र के भूविस्थापित न्याय पाने के लिए 20 दिन से तानसेन चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका प्रदर्शन केंद्रीय उपक्रम नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की कोरबा परियोजना के प्रबंधन के विरुद्ध है। इस परियोजना के लिए गांव के 300 लोगों की 778 एकड़ जमीन अर्जित की गई थी। चार दशक का लंबा समय बीतने के बाद भी 50 ऐसे लोग अभी बचे हुए हैं जो रोजगार से दूर हैं। तमाम तरह की कोशिश करने के बाद भी इन लोगों के मसले का समाधान नहीं हो सका है।

विस्थापित बताते हैं कि 80 के दशक में एनटीपीसी की 2100 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जमीन अर्जित की गई थी। चारपारा क्षेत्र के लोग भी इसमें शामिल थे जिनकी जमीन का अर्जन किया गया। इस इलाके के 250 लोगों को मुआवजा के साथ रोजगार और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई। जबकि 50 लोग अब तक इस प्रकार की सुविधाओं से वंचित है। लक्ष्मण कैवर्त सहित भूमि स्थापित परिवारों के सदस्यों के द्वारा इस प्रकार के मुद्दे को लेकर कोरबा जिला मुख्यालय में धरना दिया जा रहा है। उनके प्रदर्शन में परिवार की महिलाएं और युवक भी शामिल हो रहे। 20 दिन से ज्यादा का समय बीतने पर भी ना तो एनटीपीसी के अधिकारियों ने सुध ली और ना ही प्रशासन ने। जबकि सभी को इस मामले की पूरी जानकारी है और उन्हें लगातार अपडेट प्राप्त हो रहा है।

लखमन कैवर्त बताते है कि हमारे क्षेत्र के दूसरे भूमिस्थापित कंपनसेशन, नौकरी और दूसरी सुविधा प्राप्त कर चुके है जबकि पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी हमारे प्रकरण को प्रबंधन के द्वारा लटका कर रखा गया है। रिकार्डो से हमारे सामने कई प्रकार की समस्याएं बनी हुई है और भविष्य का संकट बना हुआ है। इन लोगों ने सवाल उठाया है कि जब नॉमिनेशन की प्रक्रिया हो चुकी है तो आगे का काम करने में एनटीपीसी प्रबंधन को आखिर समस्या क्या है और वह हम लोगों को इस तरीके से परेशान क्यों कर रहा है। विस्थापित समुदाय ने इस मामले में अपने संवैधानिक अधिकारों का हनन होने का मुद्दा भी बनाया है और भारत सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय, ऊर्जा मंत्रालय सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया है।

भू-विस्थापितों ने प्रबंधन और प्रशासन के अधिकारियों से सवाल किया है कि पात्रता होने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार के लिए प्रशिक्षण देने में समस्या क्या है और केवल निशाने पर हम लोग क्यों है। उन्होंने पूछा है कि जब सीपत क्षेत्र के प्रभावित लोगों को कोरबा परियोजना में प्रशिक्षण दिया जा सकता है तो इसी इलाके से वास्ता रखने वाले लोगों को प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता। आरोप है कि चारपारा इलाके से जुड़े मसले को गैर जरूरी कारणों से लटकाये रखने के लिए कई प्रकार की नौटंकी अधिकारियों की ओर से की जा रही है ताकि एक समय के बाद लोग इस विषय को भूल जाएं। भू विस्थापितों ने कहा कि किसी भी कीमत पर यह लड़ाई नहीं रूकेगी और प्रबंधन को सबक सिखाकर रहेंगे।

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