पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने की शपथ ली एचटीपीपी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने
कोरबा 02 जून। एक जून को हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम संयंत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने व अपने परिवारजनों, मित्रों एवं अन्य लोगों को इस निमित्त जागरूक व प्रेरित करने की ली शपथ ली। उन्हें शपथ संयंत्र के मुख्य अभियंता संजय शर्मा ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में दिलाई।
हसदेव ताप विद्युत गृह में भारत सरकार के मिशन लाइफ कार्यक्रमों के अंतर्गत 25 मई से 5 जून तक आयोजित हो रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में हेजार्डस वेस्ट मैनेजमेंट पर व्याख्यान व जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थों के एकत्रीकरणए पृथककरण व निस्तारण की प्रक्रिया का सविस्तार वर्णन किया गया। इस मौके पर वरिष्ठ रसायनज्ञ देवेश दुबे ने हेजार्ड हंट को परिभाषित करते हुए कहा कि हेजार्ड का अर्थ है जोखिम तथा हंट का अर्थ है पहचानना। इस प्रकार कल.कारखानों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों को पहचानकर उनका निपटान करना ही इस प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य है। श्री दुबे ने कहा कि ये पदार्थ एक तरह का धीमा जहर है जो हवा.पानी व मिट्टी को प्रदूषित कर रहा है। जिससे न केवल मानव रूग्ण हो रहा है बल्कि जीव जंतुओंए पशु.पक्षियों व पेड़.पौधों को भी नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही जीव.जंतुओं की कई प्रजातियां भी इस धरती से विलुप्त होती जा रही है।
कार्यक्रम में सहायक प्रबंधक पर्यावरण विकास उइके ने कहा कि कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ जैसे धुआं, धूल, ग्रीट और अन्य केमिकल्स का प्रबंधन आवश्यक है। उपाय के तौर पर चिमनियों की ऊंचाई अधिक रखने के साथ ही उससे निकलने वाले धुएं को बैग फिल्टर लगाकर कम किया जा सकता है तथा उद्योगों की स्थापना गांव एवं शहरों से दूर की जान चाहिए तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जैव विविधता और सरीसृप पर श्री उइके द्वारा पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देते हुए बताया कि जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ एवं स्थिर बनाए रखती है परंतु जैसे.जैसे मानवीय गतिविधियां अधिक होती गईं वैसे ही जीवों की विविधता पर भी असर पडऩे लगा।
धरती पर पहले जहां इन सरिसृप एवं उभयचरों की अत्यधिक व्यापकता हुआ करती थी वहीं अब इनकी संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में सांपों की लगभग 272 प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से केवल 4 का जहर ही जानलेवा है। उन्होंने बताया कि सांपों का खाद्य श्रृंखला एवं जैव विविधता के निर्माण में अहम योगदान है। अगर सांप न हो तो चूहों और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीटों की संख्या में तीव्र वृद्धि हो जाएगी। इसका नकारात्मक प्रभाव पारिस्थितिकीय तंत्र पर भी पड़ेगा।