हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत आयोजित: आपसी सामंजस्य एवं नि:स्वार्थ प्रेम ही है सुखी दांपत्य जीवन का आधार
कोरबा 14 मई। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर दिनांक 13 मई 2023 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। वही डी.एल. कटकवार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के आतिथ्य में एवं विशिष्ठ अतिथि बी. राम. प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा, अपर सत्र न्यायाधीश कु संघपुष्पा भतपहरी, अपर सत्र न्यायाधीश एफ टीसी कोरबा श्रीमति ज्योति अग्रवाल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग.एक कोरबा हरीश चंद्र मिश्र, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश बृजेश राय, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक कोरबा के अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश, श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो श्रीमती रिचा यादव एवं मंजीत जांगडे, संजय जायसवाल, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, नूतन सिंह ठाकुर सचिव जिला अधिवक्ता संघ कोरबा,बी के शुक्ला सदस्य,छ.ग. राज्य विधिज्ञ परिषद बिलासपुर दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में उपस्थित थे। वही नालसा थीम सांग न्याय सबके लिये के साथ नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। जिसमें न्यायालय में कुल 11992 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 2013 एवं प्री.लिटिगेशन के 9979 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के 6999 प्रकरण एवं प्री.लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 7848 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ।
बेसहारा बुजर्ग दंपत्ति को मिला न्याय तीन वर्षों से लंबित प्रकरण का हुआ राजीनामा आधार पर निराकरण:-
दिनांक 02/08/2020 को आवेदक बुजुर्ग दंपत्ति के जवान पुत्री की मृत्यु मोटर दुर्घटना में हो जाने के कारण आवेदकगणों के द्वारा समस्त मदों में कुल 16,60000 रूपये क्षति रकम प्राप्त करने हेतु, अनावेदक के विरूद्ध मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 के अंतर्गत मान. न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उक्त घटना में पीडिता अपने दाहिने पैर का पंजा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे लंबे चले उपचार के दौरान पीडिता की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में मृतिक जो बुजुर्ग दंपति की एक मात्र संतान थी के मृत्यु के पश्चात् बेसहारा बुजुर्ग दंपत्ति आवेदकगणों के लिये अत्यंत कठिन हो चला था। प्रकरण में आावेदकगण एवं अनावेदक बीमा कंपनी ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगणों ने 3,25,000 रूपये तीन लाख पच्चीस हजार रूपये बिना किसी डर.दबाव के राजीनामा किया जिसे दिनांक से 30 दिवस के भीतर अदा किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार घर बैठे बुजुर्ग आवेदकणों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।
न्याय पहुंचा पीडित के द्वार घर बैठे मिला न्याय:-
घटना का विवरण इस प्रकार है कि घटना दिनांक 28/02/2020 को आरोपीगण सपरिवार खाना खाने हेतु प्रार्थी के होटल में गए थे और खाना का आर्डर दिए, खाना तैयार होने में विलम्ब के कारण आरोपीगणों के द्वारा प्रार्थी के साथ अश्लील गाली-गलौज कर धक्का-मुक्की करते हुए हाथ मुक्का से मारपीट किया गया था। उक्त घटना के कारित होने से प्रार्थी के द्वारा एफ.आई.आर दर्ज किया गया, जिससे संबंधित थाने के द्वारा संज्ञान में लेकर अभियुक्तगणों के विरूद्ध धारा 294,323/34 भा.द.स.के तहत आरोप कारित किया गया, जो मान न्यायालय में लंबित था। दिनांक 13/05/2023 हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत के अवसर पर उक्त प्रकरण में प्रार्थी के द्वारा उपस्थित होकर एवं समझौतानामा किए जाने बाबत् आवेदन प्रस्तुत किया गया एवं अभियुक्तगण के द्वारा ऑन लाईन वीसी के माध्यम से प्रकरण में उपस्थित कर प्रकरण में बीना डर एवं भय के राजीनामा करना कथन किया। जिससे मानण् न्यायाधीश के द्वारा आरोपीगण को पुन: ऐसी घटना कारित न करने की समझाईश देते हुए समस्त आरोपों से मुक्त किया। ऐसे ही अन्य कुल 08 प्रकरणों को ऑन लाईन विडियो काफ्रेसिंग के माध्यम से राजीनामा के आधार पर निराकरण किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत गरीब आम जनों को न्याय प्रदान कर न्याय सबके लिए का घोषवाक्य को चरितार्थ किया।
लोक अदालत में हुआ पति-पत्नी का पुनर्मिलन:-
आज के वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली है, आपसी विवाद घरेलू हिंसा तथा एक दूसरे पर विश्वास की कमी कमजोर दाम्पत्य जीवन का आधार बन रही है। ऐसे ही घटना मान कुटुंब न्यायालय में विचाराधीन था, आवेदक एवं अनावेदक का वर्ष 24/03/2018 में हिन्दू रिति-रिवाज से विवाह संपन्न हुआ था। विवाह से उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद बाद से ही आवेदक के व्यवहार में बदलाव आने लगा एवं अनावेदिका के मध्य आपसी सांमजस्य की कमी आने लगी, अनावेदक के द्वारा दहेज कम लाई हो कहकर क्रूरता का व्यवहार करते हुए अनावेदक आए दिन शराब के नशे में गाली-गलौच कर शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित करने लगा, पुत्री प्राप्ती के पश्चात भी अनावेदक के व्यवहार मे ंकोई बदलाव नहीं आया। विवाद इतना बढ गया की अनावेदक के द्वारा आवेदिका को खाना देना बंद कर दिया था, मार-पीट कर घर से बाहर निकाल दिया गया। जिससे आवेदिका बेसहारा होकर अपनी दूधमूहीं बच्ची के साथ जबरन मायके मे शरण लेना पडा, तथा बच्चे के छोटी होने से मजदूरी करने में भी असमर्थ थी। जिससे आवेदिका को अपना एवं बच्चे का पेट भर पाना भी मुश्किल हो चला। ऐसे में विपरित परिस्थितियों से तंग आकर आवेदिका ने अपने एवं दूधमूही बच्ची के लालन पालन हेतु मान.न्यायालय के समक्ष भरण पोषण राशि दिलाए जाने बाबत् आवेदन प्रस्तुत किया गया। दिनांक 13/05/2023 को आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में आवेदक एवं आवेदिका को साथ रह कर आपसी सामंजस्य के साथ जीवन जीने की समझाईश दी गई, जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपनी बच्ची के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने बच्चों को माता-पिता का दुलार प्रदान करने एवं सुखमय जीवन यापन करने में सहायता प्रदान की।
आपसी सामंजस्य एवं नि:स्वार्थ प्रेम ही है सुखी दांपत्य जीवन का आधार:-
आवेदक एवं अनावेदिका का वर्ष 09/02/2017 में विवाह संपन्न हुआ था। विवाह से उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद आवेदक के माता-पिता एवं दिव्यांग भाई के साथ संयुक्त परिवार में साथ रहती थी। विवाह के बाद से अनावेदिका के द्वारा आवेदक को घर को छोड कर कही अन्यत्र रहने का दबाव डालने लगी, जिससे आवेदक के द्वारा मना करने पर अनावेदिका के द्वारा बुरा बर्ताव किया जाने लगा। अनावेदिका बात-बात पर विवाद का बहाना ढुढने लगी तथा आवेदक के बुढी बीमार मां एवं दिव्यांग भाई के साथ जबरन विवाद करती उनके लिए असम्मानजनक एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग करती थी, जिससे घर का वातावरण अशांतिपूर्ण एवं कलह से भर गया। आवेदक सदैव अपने घर को छोड कर जाने से मना करता जिससे अनावेदिका के द्वारा आवेदक एवं उसके परिवार के लोगों को घरेलू हिंसा के झूठे प्रकरण में फंसा दिया तथा आत्म हत्या कर हत्या के प्रकरण में फसाने की धमकी देती थी। जिससे तंग आकर ना चाहते हुए आवेदक के द्वारा मान. कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में अंतर्गत धारा 13;1 हिन्दू विवाह अधिनियम वास्ते विवाह विच्छेद करने हेतु प्रकरण दर्ज कराया गया। दिनांक 13/05/2023 को आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में आवेदक एवं अनावेदिका को साथ रह कर आपसी सामंजस्य के साथ जीवन जीने की समझाईश दी गई, जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपनी बच्ची के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने एक नाबालिग बच्ची को माता-पिता का दुलार प्रदान करने एवं सुखमय जीवन यापन करने में सहायता प्रदान की।