हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने की कामना कभी पूरी नहीं होगी: शंकराचार्य निश्चलानंद
कोरबा 12 अप्रैल। सेवा का लालच दिखाकर हिंदुओं को ईसाई बनाया जा रहा हैं। इसे धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि धर्मच्युत का कुत्सित प्रयास कहना उचित होगा। हिंदुओं को अल्प संख्यक बना कर देश को मुठ्ठी में करने वालों की मंशा कभी पूरी नहीं होगी। बिरनगांव में हुई घटना शासन और प्रशासन की असफलता को दर्शाता है। हिंदूओं को अब जागरूक होने के साथ एक जुट होना होगा।
उक्त बातें गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने पत्रकार वार्ता के दौरान बुधवारी बाजार स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में कही। उन्होने कहा कि सभी मनुष्यों के पूर्वज हिंदू थे। रोम में ईसा मसीह के मस्तक पर नारायणी चंदन लगा है। इससे सिद्ध होता है ईसाई धर्म भी हिंदु धर्म से ही शुरू हुआ है। मोहम्मद के पूर्व भी हिंदू ही थे। भारत ही नहीं पूरा एशिया हिंदू राष्ट्र था। शंकराचार्य ने कहा मेरी इस बात की समर्थन की गूंज अमेरिका तक है। हिंदू राष्ट्र के मार्ग में कुछ लोग बाधक हैं। वे नहीं चाहते की देश में सनातन धर्म का उदय हो। हम लोगों के बीच कुछ नेता फूट डालो और राज करो की नीति अपना कर सवर्ण.असवर्णए आदिवासी.आगंतुक के भेदभाव का बीज बो रहे हैं। हमें ऐसे नेताओं का नेतृत्व नहीं चाहिए। उन्होने सनातन धर्मावलंबी हिंदुओं को संबोधित करते हुए कहा कि 80 प्रतिशत समस्याओं का निदान स्वयं करें। बेमेतरा में हुई घटना के बारे में उन्होने कहा कि यह शासन और प्रशासन की असफलता को दर्शाता है। हिंदूओं को अब जागरूक होने के साथ एक जुट होना होगा। आर्थिक, सामाजिक, नैतिक विकास कार्यो के लिए प्रत्येक हिंदू को आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। हमे सनातनी सार्थक जीवन की ओर अग्रसर होना होगा। सूर्य को जल देना, अग्नि की पूजा करना हमारी जीवन की दिनचर्या में शामिल होना चाहिए। उन्होने कहा कि हिंदुओं को दिन भर में सवा घंटे भजन व भगवान के नाम जपन के लिए निकालना होगा। वर्ण व्यस्था के अनुसार प्राचीन समय में सभी बराबर थे। वर्तमान में जिन्हे अनुसूचित जाति कहा जाता है वे भी हिंदू धर्म में राजा की तरह जीवन जीते थे। उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि डोम अंत्यद राजा था, तभी तो उसने धन देकर राजा हरिश्चंद्र को खरीदा था। उन्होने कहा कि हिंदू धर्मावलंबियों को वेद में कहीं गई।
अवधारणाओं के साथ जीने के लिए वे सदैव प्रेरित करते रहेंगे। हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के बारे में उन्होने कहा कि जिस समय रामराज्य था उस समय पूरी दुनिया में केवल हिंदू ही थे, इस वजह से हिंदू राष्ट्र की अवधारण ही सही है। पूरी दुनिया के लिए सनातन धर्म ध्यान का केंद्र बना हुआ हुआ है। विदेशों में इस धर्म का आलंबन कर शांति की अनुभूति कर रहे हैं। यज्ञ, वेद मंत्रों और हिंदुत्व के विचारों पर शेध किए जा रहे हैं। निश्चलानंद महाराज ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया वैदिक परंरपरा का अनुशरण करेगी। भौतिकवाद से उकता, लोग हिंदुओं के धर्म ग्रंथों के प्रति प्रेरित हो रहे हैं। वेदों में लिखे गए तथ्यों में विज्ञान की अवधारणा तलाशी जा रही है। सनातन धर्म को सत्य के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। हिंदुओं के यज्ञ क्रिया, श्राद्ध क्रिया व पूजन अनुष्ठान से प्रेरित होकर विदेशी इसका अनुशरण कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि भारत एक दिन फिर जगत गुरू बनेगा। शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने कहा कि आत्मशांति की असीम संभावनाएं होने की वजह से हिंदू धर्म को सनातनधर्म कहा जाता हैं। इस धर्म के सत्य जुड़ा है। उपनिषदों में सत्य मेव जयते का उल्लेख है। देश में कई वर्षो तक मुस्लिम शासकों ने राज्य किया, इसके बाद भी हिंदुओं ने अपनी मर्यादा और स्वाभिमान को बनाए रखा। अपने ईष्ट के प्रति उनकी आस्था कभी नहीं टूटी। विपरीत परिस्थितियों में भी हिंदुओं ने सत्य सनातन धर्म की ध्वजा को थामकर चलने की धारणा को नहीं छोड़ी और यह साबित किया कि जीत हमेशा सत्य की होती है।