कोरबा 21 फरवरी। साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड कोरबा क्षेत्र की मानिकपुर परियोजना के अंतर्गत एक नर्सरी में आगजनी से बड़ी संख्या में पेड़.पौधे नष्ट हो गए। कुछ ही देर में आग ने जमकर विस्तार कर लिया। आग अपने आप लगी या किसी ने जानबूझकर लगाई, दोनों तरह की चर्चाएं इलाके में चल रही है। देर रात को खबर मिलने पर नगर निगम और सीएसईबी की दमकल यहां पहुंची और आग को काबू में किया। बीते वर्षों में औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास प्रदूषण की समस्या को कुछ हद तक कम करने के उद्देश्य से वन विकास निगम मध्यप्रदेश के द्वारा सघन वनीकरण किया गया था। संबंधित इकाईयों के द्वारा इस काम का खर्च वहन किया गया। निश्चित समय के बाद पौधे तैयार होने पर इन्हें संबंधित उपक्रम को सौंप दिया गया। बाद के वर्षों में मूल इकाईयों ने इन्हें सहेजने का काम किया।

इसी कड़ी में एसईसीएल मानिकपुर के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने नर्सरी और बड़ा ग्रीन बेल्ट विकसित किया गया था। यहां सागौन सहित कई प्रजाति के वृक्ष तैयार होकर खड़े थे। इनमें से बड़ी संख्या को पहले ही कतिपय तत्वों ने काट दिया। इसी हिस्से में पिछली रात्रि 11.30 बजे के आसपास आग लगी। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ नमी की समाप्ति होने पर सूखे पत्तों ने आग पकड़ी और जल्द ही आसपास में इसका विस्तार हुआ। आसपास के लोगों ने इस तस्वीर को देखा और उन लोगों तक बात पहुंचाई जो इस दिशा में कुछ कर सकते थे। एक घंटे के भीतर नर्सरी और आसपास के ग्रीन बेल्ट तक जा पहुंची। आग ने काफी तेज रफ्तार से जंगल को नुकसान पहुंचाना जारी रखा। आपदा प्रबंधन विभाग और सीएसईबी कोरबा ईस्ट की दो दमकलें यहां रात्रि 1 बजे के आसपास पहुंची। काफी देर तक मशक्कत करते हुए आपदा प्रबंधन के कर्मियों ने यहां पर लगी आग को बुझाने का जतन किया। अंतिम रूप से पुष्टि की गई कि अब आग यहां पर पूरी तरह से बुझ चुकी है। इसके बाद आपदा दल वापस लौटा। आपदा प्रबंधन की ओर से जन सामान्य के साथ-साथ विभिन्न औद्योगिक उपक्रमों के प्रबंधन को कहा गया है कि ग्रीष्मकाल में होने वाली घटनाओं के मद्देनजर अपने स्तर पर सतर्कता बनाई रखी जाए। इसके अलावा अप्रत्याशित रूप से होने वाली घटनाओं के बारे में विभाग को सूचित करें ताकि समय पर नियंत्रण हो सके। नर्सरी क्षेत्र में आगजनी की घटना क्या अपने आप हुई, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है। यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि इस इलाके में शरारती तत्वों की ओर से आग लगाई गई होगी। आशंका जताई जा रही है कि धीरे-धीरे बड़े हिस्से पर बेजा कब्जा करने के इरादे से ऐसा काम किया जा सकता है।

जानकारों का कहना है कि मानिकपुर में मुक्तिधाम से लेकर पोखरी के आसपास पहले से ही बेजा कब्जा कर लिया गया है। इसमें कई नेतानुमा लोग शामिल बताए जा रहे हैं। इनकी ही कारास्तानी से स्टेशन के पास अचंभा पहाड़ के पास कई कब्रों को समाप्त कर दिया गया है। ऐसे ही लोगों के निशाने पर अब नए इलाके हैं और उनकी कोशिश यहां की जमीन को हड़पने के साथ नए निवेश क्षेत्र बसाने की है। वायरलेस सेंसर सिस्टम से मिल रही लोकेशन वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जंगलों में लगने वाली आग की सूचना काफी जल्द मैदानी अमले को प्राप्त हो जाती है। इसके लिए वायरलेस सेंसर सिस्टम से हमारे क्षेत्र सीधे जुड़े हुए हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यह डिवाइस सेंट्रलाइज है। बताया गया कि अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर फायर एट फॉरेस्ट के अंतर्गत यह तकनीक काम करती है। देश भर में पूरे जंगलों की मेपिंग इसके जरिए कराई गई है और इसे मुख्य केंद्र से जोड़ा गया है। कोरबा जिले में इसे प्रभावी किया गया है। अधिकारी बताते हैं कि इस तकनीक पर काम करने से काफी सहूलियत हो रही है और जंगलों को संरक्षित करने में कुछ सीमा तक सहायता मिल रही है।

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