घासीदास के कुलपति आलोक चक्रवाल और एवं कमिश्नर डॉ. संजय अलंग की कविताओं पर नाट्य प्रस्तुति से भावविभोर हुए दर्शक

कमल दुबे द्वारा

बिलासपुर 19 फरवरी। गत दिवस गुरु घासीदास विश्व विद्यालय के रजत जयंती सभागार में संध्या 6.00 बजे से कवि एवं कुलपति, गुरूघासीदास विश्वविद्यालय प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल की कविताओं पर आधारित ‘सफर’ एवं बिलासपुर शहर के कमिश्नर संजय अलंग की कविताओं पर पगडंडी नामक काव्य नाट्य की प्रस्तुति हुई। नाट्य प्रस्तुति देखने के लिए शहर के नामी-गिरामी लोग, कलाकार, कथाकार, नाटककार, विश्वविद्यालय के छात्र, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं शहर के कविता प्रेमी विश्वविद्यालय के हाल में इक्कठे हुए और नाट्य प्रस्तुतियों को देखकर बेहद उत्साहित एवं भाव विभोर हुए। पूरा हाल लगातार उत्साहित नजर आया. दर्शक दीर्घा ने बार-बार तालियाँ बजाकर रंगकर्मियों का उत्साहवर्धन किया। विश्वविद्यालय का हाल खचाखच भरा हुआ था. बैठने की जगह तक नहीं थी. दर्शक बच्चों की प्रस्तुति के साथ लगातार सांस्कृतिक संध्या में झूमते रहे. पिछले 15 दिनों से विश्व विद्यालय के छात्रों का काव्य नाट्य मंचन का प्रशिक्षण संगम नाट्य समिति, अर्चिन्स और हिंदी विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में संचालित किया जा रहा था। इस 15 दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला की समाप्ति पर आज काव्य नाट्य मंचन किया गया जिसमें विशेष रूप से कविदवय प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल एवं डॉ. संजय अलंग भी सपरिवार अपनी कविताओं की प्रस्तुति देखने उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कुलपति ने स्मृति चिह्न देकर किया.

सफ़र के काव्य नाटक प्रस्तुति के बाद कुलपति आलोक चक्रवाल ने प्रस्तोता छात्रों को बधाई दी और कहा कि ये सारी कवितायें मैंने हवाई यात्रा के दौरान लिखी है. मैंने यह कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी कविताओं का इतना बेहतरीन मंचन होगा. कमिश्नर संजय अलंग ने कहा कि कविता लेखन मेरी मोनोटोनी को ब्रेक करने का जरिया है. वह कोई भी कला का रूप हो सकता है.

नाट्य प्रस्तुति विशेष तौर पर गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल के काव्य संग्रह प्रतिबिम्ब एवं वरिष्ठ साहित्यकार एवं संभागायुक्त, बिलासपुर के डॉ. संजय अलंग के काव्य संग्रह “पगडंडी छिप गयी थी’ और ‘नदी उसी तरह सुंदर थी जैसे कोई बाघ पर एकाग्र था। कार्यक्रम के समन्वयक, हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक मुरली मनोहर सिंह तथा प्रस्तुति नियंत्रक प्रो. मनीष श्रीवास्तव, कुलसचिव, गु. घा. विवि थे। वेशभूषा की परिकल्पना लोकगायिका एवं नाट्यकर्मी नगीन तनवीर की थी। मंच का संचालन मुरली मनोहर सिंह ने किया. उनके संचालन कौशल ने इसे और भी मोहक बना दिया.

दरअसल काव्य नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना व निर्देशन संगम नाट्य समिति के सचिव शैलेन्द्र मणि कुशवाहा ने की थी। मंच पर प्रकाश व परामर्श सादात भारती ने की थी, सहायक निर्देशक व अभिनय प्रशिक्षक राकेश – वरवड़े थे। शैलेन्द्र व संगम नाट्य समिति ने सामाजिक, साहित्यिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों व छतीसगढ़ी लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्यों से वर्ष 2012 से निरंतर कार्य कर रही है और छत्तीसगढ़ के नाचा कलाकारों का सहयोग इन्हें प्राप्त है। संस्था सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में भी लोक नाट्य नाचा की प्रस्तुतियां देती रही है और तब से अब तक यह लगातार प्रदेश के लोक कलाओं को आगे बढ़ाने में अग्रसर है। इस काव्य नाट्य प्रस्तुति में विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोतर प्रथम वर्ष के छात्रों की सहभागिता थी. संगीत कलीम जफर तथा ताल वाद्य प्यारे लाल ने किया. मंच सज्जा डॉ. अनुपमा कुमारी एवं अतुल कुमार, गायन सहयोग अरुणा, सौरभ, प्रेरणा, प्रणिता, उश्मिता, शुभम, आदर्श, नित्यलेश आदि ने किया। वेशभूषा सहायक, सावनी, पायल, करन, नित्यलेश परामर्श समिति में सुश्री नगीन तनवीर, डॉ. गौरी त्रिपाठी (विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग), डॉ. रमेश कुमार गोहे आदि शामिल थे।

कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहीं पिपली लाइव फिल्म की पार्श्व गायिका, लोक गायिका एवं प्रसिद्ध नाटककार की सुपुत्री सुश्री नगीन तनवीर जिन्होंने चोला माटी का रे तथा अन्य छत्तीसगढ़ी गीत गाकर कार्यक्रम का समा बाँध दिया। मंच सहायक के रूप में धर्मेंद्र कुमार और शुभम थे तथा मंच सामग्री की व्यवस्था विवेक, सुरेन्द्र, आदर्श कुमार ने किया। नाटक में सहभागिता आदर्श कुमार, शुभम कश्यप, राजीव सिंह, जुगेश प्रधान, सुरेंद्र गुप्ता, विवेक सूर्या, करण सिंह, आदर्श उपाध्याय, नित्यलेश कुमार, सौरभ कुमार, सत्यम कुमार, संदीप चेल्से, धर्मेंद्र कुमार, ऋषभ गुप्ता, प्रियांशु तिवारी, अरुणा पधान, प्रेरणा श्रीवास, पायल नंदे, सावनी दास, उश्मिता तिकी, प्रणिता तिवारी, प्रीती भास्कर, प्रजा पाल, प्राची सिंह, प्रचार प्रसार सुरेन्द्र वर्मा, लोकेश कुमार, लीलाधर भांगे, सत्यम, राजीव, धर्मेन्द्र, जुगेश, मुरली मनोहर सिंह, ब्रोशर, पोस्टर : भरत तिवारी, अखिलेश गुप्ता, अनीश कुमार, आभूषण निर्माण – बसंती पटेल, प्राची सिंह, रोशनी जायसवाल तथा आभूषण सहायक प्रज्ञा पाल, प्रेरणा, प्रणिता एवं टंकण :- अनीश कुमार ने किया.

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