जिले को मिला डीएसओ, खेल गतिविधियों का रास्ता होगा आसान

कोरबा 09 नवम्बर। काफी लंबा समय प्रभार में गुजरने के बाद खेल और युवा कल्याण विभाग को पूर्णकालिक अधिकारी मिला है। खेल संबंधित गतिविधियों को रफ्तार देने का रास्ता इससे आसान होगा, यह आशा की जा रही है। कोरबा जिला गठन के बाद यह पहला मौका है जब कोरबा जिले में खेल युवा कल्याण विभाग के लिए खेल अधिकारी उपलब्ध कराया गया। दीनू पटेल ने इस पद का कामकाज स्थानीय कार्यालय में संभाल लिया है। सरकार ने उनकी पदस्थापना के आदेश हाल ही में किये थे। उक्तानुसार विभाग की एक बड़ी मांग अब जाकर पूरी हुई।

पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश के समय 25 मई 1998 को कोरबा जिला का गठन हुआ है और तभी से खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने काम करना शुरू किया। प्रारंभिक दिनों में व्यायाम अनुदेशक स्तर के प्रशिक्षकों से खेल गतिविधियों को संपादित कराया गया। उन्होंने अपनी क्षमता और विभाग से प्राप्त सीमित संसाधनों के माध्यम से ऐसे आयोजनों को गति दी। बाद में शिक्षाकर्मी और दूसरे लोगों को खेल युवा कल्याण विभाग की गतिविधियों से जोड़ा गया। इस दौरान सरकार के नियमों की अनदेखी भी की गई। जबकि मूल संस्था से कर्मियों को दूसरी जगह भेजकर उन्हें तो राहत मिली, किन्तु संस्था के काम पर असर पड़ा। खबर के मुताबिक प्रभार के अधिकारियों को जिम्मेदारी दिये जाने से कई प्रकार के संकट खड़े हो रहे थे और चाह कर भी खेल आयोजनों के साथ-साथ विभाग की प्रतियोगिताओं के मामले में आवश्यक फंड की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इस तकनीकि पेंच को अधिकारियों के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों ने समझा। खेल संगठनों ने भी इसमें रूची ली और उचित स्तर पर पत्राचार किया गया। नतीजे अब सामने हैं। माना जा रहा है कि नये जिला खेल अधिकारी की पदस्थापना कोरबा जिले में इन्हीं कारणों से की गई है। जिले में 15 से अधिक खेल संगठन पंजीकृत होने के साथ सक्रिय हैं। इनमें से कुछ को सरकारी अनुदान की पात्रता है। समझा जा रहा है कि अपने कार्यक्षेत्र और विषय की समझ रखने वाले अधिकारी की पदस्थापना होने से खेल युवा कल्याण विभाग की गतिविधियों की राह में जो बाधाएं बनी हुई हैए उन्हें आसानी से दूर किया जा सकना संभव होगा।

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