रक्षाबंधन पर्व: प्रतीकों वाली राखियों ने बढ़ाई महिला समूहों की आमदनी

कोरबा 4 अगस्त। पर्याप्त संसाधन और प्रोत्साहन मिलने के साथ पूरी इच्छा शक्ति से महिलाओं के कई स्वसहायता समूहों ने नई सोच से काम करना शुरू किया। समय के साथ इसमें रफ्तार लायी गई। विभिन्न उत्पाद हाथों हाथ बिक गए। अब रक्षाबंधन पर्व से पहले समूहों के द्वारा तैयार राखिया उन्हें पहचान दिला रही है और पैसा भी।

कोरबा जिले के धंवईपुर के जगजननी, कोरबा के तुलसी, कटघोरा के हसदेव सहित कई ऐसे महिला स्वसहायता समूह इस मामले में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। पिछले वर्षों में ये समूह गठित हुए और पोषण आहार सहित सामान्य चीजों के लिए काम करना शुरू किया। शुरूआत में इनके साथ सीमित महिलाएं थी और सीमित काम। समय बदलने के साथ बदलाव भी झलकने लगा। यहां से तैयार सामानों की गुणवत्ता का चमत्कार रहा कि जल्द ही इसकी मांग में बढ़होतरी हुई। समूहों ने पर्व विशेष को ध्यान में रखते हुए पूजा में काम आने वाली चीजों को बनाने में जोर दिया। आसपास से ही कच्चा सामान प्राप्त किया। अंचल में प्रतीक के तौर पर उपयोग में आने वाली वस्तुओं को भी सामाग्री निर्माण में शामिल किया गया। श्रावण पूर्णिमा में मनाये जाने वाले रक्षाबंधन पर्व को ध्यान में रख महिला समूहों के द्वारा कई वैरायटियों की राखी बनायी जा रही है। बताया गया कि दो-तीन महीने पहले ही कई जिलों से उनके पास इसके लिए डिमांड प्राप्त हुई। माना जा रहा है कि पिछले वर्ष यहां से जो सामाग्री तैयार की गई थी और उत्पादन व लागत में आसपास के विक्रेताओं ने प्रोत्साहित किया। इसीलिए अबकि बार भी छत्तीसगढ़ के परंपरा और संस्कृति में शामिल कौड़ी, धान, दाल से लेकर कई चीजों को राखी में समाहित किया गया है। इनसे राखियों का लुक आकर्षक हुआ है और व्यापक बाजार के बीच इन्हें अलग पहचान प्राप्त हुई है।

महिलाओं का कहना है कि सामान्य तौर पर बड़े नगरों से आने वाली राखियों का ट्रेंड पिछले कई वर्षों से एक जैसा बना हुआ है। सब कुछ पहले जैसा और कीमतें आसमान। इस मामले में हम हर बार अलग कर दिखाने की कोशिश करते हैं। यही चीज हमें भीड़ से अलग करती है और हमारे उत्पाद की प्रशंसा होने के साथ स्वाभाविक रूप से मांग में वृद्धि होती है। बेशक ऐसे प्रयासों से महिलाओं के समूहों की आर्थिक आमदनी बढ़ रही है और प्रति सदस्य का मार्जिन ऊंचाई पर जा रहा है। इससे आर्थिक स्तर को और अच्छा करने में सहायता प्राप्त हो रही है। महिलाएं बताती है कि समूहों के कार्यों को हर स्तर पर जिला पंचायत सीईओ का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है।

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