छत्तीसगढ़ साहित्य हिन्दी राकेश गुप्त निर्मल की गजल Gendlal Shukla August 9, 2020 विकास के पीछे हादसों का मंजर देखा है।शिलान्यास के पाषाणों का मंजर देखा है।काल का आना तो तय है जिंदगी में,उस पे बहानों का बवंडर देखा है।ख्वाब देखने की मनाही भला किसे है,शेखचिल्ली के सपनों का खंडहर देखा है।वो गहराई जहाँ मिलती है ऊचाईयाँ,कभी मां-बाप के आँखों का समंदर देखा है।बदचलन हुई हवा तालीमगाह की,कलम वाले हाथों का खंजर देखा है।औरों से मदद की चाह में निर्मल,ख्वाहिशों का अस्थि पंजर देखा है।संस्थापक/संयोजक*कविता चौराहे पर*मुंगेली, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़मो- 093027 76220 Spread the word Post Navigation Previous Corona Breaking: कोरबा जिला पंचायत सीईओ पाए गए कोरोना पॉजिटिवNext अखिल भारतीय युवा कांग्रेस स्थापना दिवस पर युवा कांग्रेसियों ने किया वृक्षारोपण Related Articles अपराध कानून कोरबा छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की कार्रवाईः चढ़ी भट्ठी सहित विभिन्न जरिकेनो मंे कुल 51 हाथ भट्ठी निर्मित महुआ शराब बरामद Gendlal Shukla December 26, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ राजकाज उपभोक्ताओं को दी गई अधिकारों की जानकारी Gendlal Shukla December 26, 2024 कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा संगठन सुरक्षा प्री-पेड बूथ से ऑटो लेना सुरक्षित और किफायती: उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन Gendlal Shukla December 26, 2024