बनिया के निकट विचरण कर रहा दल से बिछड़ा लोनर हाथी

कोरबा 15 जून। कटघोरा वनमंडल पसान और केंदई वन परिक्षेत्र में हाथियों का दल अब टुकडिय़ों बंट कर उत्पात मचाने लगे हैं। दिन में जंगल में रहने वाले दल अब बस्तियों के निकट डेरा डालने लगे हैं। सोमवार को ग्राम रोदे में बुजुर्ग को मौत के घाट उतारनें के बाद दल से बिछड़ा लोनर हाथी आक्रामक हो गया है। तीन दलों में बंटे हाथी बनियाए कापानवापारा व परला में विचरण कर रहे हैंए ऐसे में लोगों में भय का माहौल हैं। अमलों की कमी के चलते समय रहते हाथियों की निगरानी नहीं हो रही।

जंगल में हाथियों को खाने के लिए चारा नहीं मिल रहा इस वजह से ग्रामीण इलाको की ओर रूख कर रहे हैं। पखवाड़े भर से हाथी आवास और बाडिय़ों के फसल को ही नुकसान पहुंचा रहे थे लेकिन जन हानि ने फिर से प्रभावित क्षेत्र में भय का वातावरण निर्मित कर दिया है। मंगलवार की शाम तक हाथियों को केंदई वन परिक्षेत्र के तीन स्थानों में देखा गया। 16 हाथियों के दल में एक लोनर हाथी ग्राम बनिया के निकट जंगल में विचरण कर रहा है। शेष 15 हाथियों में आठ कांपा नवापारा और सात ने परला के जंगल में डेरा डाल रहा है। केंदई वनपरिक्षेत्राधिकारी अभिषेक दुबे ने बताया कि दल से बिछड़ा लोनर हाथी ने ही पिछले दिनों किसान की जान ली है। बताना होगा कि दल के अलग.अलग टुकडिय़ों में बंटे होने के कारण वन विभाग निगारानी में नाकाम है। पसान के 18 में सात वनक्षेत्र में बीट गार्ड नहीं है। इसी तरह केंदई के 16 में पांच वनक्षेत्र में बीट गार्ड की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में इन जगहों में हाथी के आने लोगों को सूचना नहीं मिलती। बीते पांच साल से उत्पात जारी होने के बाद भी शासन की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। हाथियों पर निगरानी के लिए पूर्व में वन विभाग ने पशु चिकित्सक व विशेषज्ञों की टीम के सहयोग से कालर आईडी लगाया गया था। हाथी के गर्दन पर सफेद रंग के पट्टे में कालरआईडी फिट की गई पर यह ज्यादा दिन टिक नहीं सका। हाथियों का ध्यान पट्टे पर ही रहता है। पेड़ हो या पहाड़ जहां मौका मिलता है वहां आईडी को निकालने के लिए रगडऩे लगते है। यही वजह है कि अब तक जितने भी हाथियों को आईडी लगाया गया उसमें सफल नहीं रहा। वर्तमान में एक भी हाथी के गले में आईडी नहीं होने से आनलाइन निगरानी नहीं हो पा रही और मेनुअल निगरानी किसी चुनौती से कम नहीं।

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