स्वास्थ्य संयोजक व वन कर्मी आज से हड़ताल पर, कामकाज हुआ प्रभावित

कोरबा 21 मार्च। स्वास्थ्य एवं वन विभाग के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आज से हड़ताल पर चले गए हैं जिससे इन दोनों ही विभागों में कामकाज ठप हो गया है और व्यवस्था गड़बड़ा गई है। हालांकि अधिकारियों ने कार्यालय में कामकाज सामान्य होने का दावा किया है।

जानकारी के अनुसार अपनी मांगों को लेकर जिले के स्वास्थ्य संयोजक आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं जिसके चलते स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। हड़ताल पर गए स्वास्थ्य संयोजकों की मांग है कि उन्हें कोरोना भत्ता दिया जाएए इसके अलावा वेतन विसंगति दूर करने समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इंसेंटिव में बढ़ोतरी और डाटा एंट्री के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि देने की भी मांग कर रहे हैं। उनकी मांगों को सरकार द्वारा अनसुना कर दिया गया है जिसके चलते उन्हें मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा है। स्वास्थ्य संयोजक के अलावा वनकर्मी भी आज से हड़ताल पर हैं। वन कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण वन विभाग के कार्यालयों में कामकाज ठप हो गया है। जानकारी के अनुसार पीसीसीएफ से बातचीत में निष्कर्ष नहीं निकलने के बाद आज से हड़ताल कर रहे हैं।   

छग वन कर्मचारी संघ जिला शाखा कोरबा के अध्यक्ष प्रीतम कुमार पुराईन ने बताया कि पूर्व में वन कर्मचारी संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16 मार्च को 12 सूत्रीय मांगों के संबंध में चर्चा हुई थी। वर्तमान में वन विभाग में विभागीय वानिकी कार्य प्रगति पर है एवं विभाग को दावाग्नि, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण है। करतला वन परिक्षेत्र के मड़वारानी क्षेत्र में वन्यप्राणियों को समुचित पेयजल व्यवस्था नहीं होने पर चीतल, हिरण जैसे बेजुबान वन्य प्राणी पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र की ओर आ रहे हैं जिससे वन्य प्राणियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है। हाथियों के दल द्वारा आबादी क्षेत्रों में विचरण कर फसल व जन हानि किया जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए छग सरकार की मनमानी के चलते वन कर्मचारियों को अपनी मूलभूत मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने हेतु विवश होना पड़ा है। वन कर्मचारी संघ द्वारा बीट गार्ड, वनपाल, उप वनक्षेत्रपाल और वन क्षेत्रपाल के नाम में संशोधन करने की मांग किया था। जिसे वन विभाग ने संशोधन किया है। संशोधन के बाद अब वन रक्षक और बीट गार्ड को फारेस्ट ऑफिसर, वनपाल को सर्किल फारेस्ट ऑफिसर, उप क्षेत्रपाल को सीनियर सर्किल फारेस्ट ऑफिसर और वन क्षेत्रपाल को रेंज फारेस्ट ऑफिसर के नाम से जाना जाएगा। वन कर्मियों की मांग है कि वन रक्षक वनपाल का वेतनमान मांग अनुरूप किया जाए। पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात् नया सेटअप पुनरीक्षण किया जाए। महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000 रुपए पौष्टिक आहार और वर्दी भत्ता दिया जाए। पदनाम वर्दी हेतु संबंधित नाम अन्य पहचान निर्धारण आदेश जारी किया जाए। वनोपज संघ के कार्य हेतु एक माह अतिरिक्त वेतन दिया जाए। विभागीय पर्यटन स्थल में वन कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त वन कर्मचारियों को निरूशुल्क प्रवेश दिया जाए। वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन किया जाए। भृत्य वानिकी चौकीदार का समायोजन किया जाए। दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों को नियमित किया जाए। वन प्रशिक्षण केंद्र कोनी बिलासपुर में प्रारंभ किया जाए। कास्ट वनोपज प्रदाय से कमी मात्रा की वसूली निरस्त किया जाए।

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