महिलाएं- नये भारत की ध्वज वाहक

कोरबा 10 मार्च। ब्रहकुमारीज मुख्यालय माउण्ट आबू द्वारा आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अंर्तगत, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर तनाव मुक्ति केन्द्र बरपारा कोहड़िया के सभागार में विषयः महिलायें- नये भारत की ध्वज वाहक, पर आयोजित परिचर्चा में बहन शिवकला कंवर अध्यक्ष जिला पंचायत कोरबा ने कहा कि यहां आकर शांति की अनुभूति तथा अपने ही परिवार की भासना आती है। आज के महिला दिवस की आप सभी को बधाई और शुभकामना देती हूं। बहन संघ पुष्पा भटप्रहरी प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश कोरबा ने कहा संविधान में महिलाओं को बराबर के अधिकार होते हुए भी, उनको उसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। महिलायें अपनी शक्ति और आंतरिक ऊर्जा को पहचानें तभी घर और समाज में संतुलन बना कर रख सकेगीं।

प्रियंका पाण्डेय वन मण्डलाधिकारी कोरबा ने कहा कि नारी ही शिव शक्ति है। जो हमारे हाथ में नहीं है, उसे ईश्वर को सौंप देना चाहिए। दुनिया डिजिटल वर्ड है, सोशियल वर्ल्ड है। मेरी मां ने 62 वर्ष की उम्र में कम्प्युटर सीखा, इन्टरनेट सीखा। आज वो 76 वर्ष की हैं। उनकी खुशी, हमारी खुशी है। यहां आकर वातावरण में एक चेन्ज की महसूसता होती है, अच्छा लगता है। ेबहन डॉ अन्नपूर्णा बोर्डे ने कहा कि महिला और पुरूष यदि मिलकर कार्य करें तो बड़ी से बड़ी समस्याओं का भी हल निकाला जा सकता है। यह मेरा अनुभव है कि कोविड-19 जैसी विश्वव्यापी बीमारी का भी हल पाया जा सकता है। डॉ. के.सी. देबनाथ अक्षय हास्पिटल ने कहा कि इस वर्ष के विषयः ब्रेक द जेंडर बायज पर सबको मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस परिवर्तन की वेला में नारी शक्ति को प्राथमिकता देनी है। ब्रहमाकुमारी रूकमणी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की संरचना में नारी शक्ति शिवध्वज वाहक बनकर सतत् आगे बढ़ रही है, वह है प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय। अब हम सब नारियों को संगठित रूप में आगे आकर एकजुट होकर एकता, शांति, आपसी प्रेम भाई-चारे के ध्वज को सभी के दिलों में फहराना है। झंडा जब लहराता है, तो सभी को अच्छा लगता है। आज से 86 वर्ष पूर्व परमात्मा परमपिता शिव ने ज्ञान का कलश माताओं को दिया। वन्दे मातरम कहते हैं। भारत स्वर्ग सोने की चिड़िया था और हम सबको मिलकर इस धरा को स्वर्णिम स्वर्ग बनाना है। बहन मधु पाण्डेय अधिवक्ता, लायनेस शहनाज, मंजु दूबे,, राखी पाण्डेय, कामयानी दुबे, ममता वासन, सुधा झा, रश्मि ओहरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

Spread the word