केंद्र व राज्य सरकार के निर्देशों को नहीं मानते छत्तीसगढ़ में वन विभाग के अधिकारी

गलत अर्थ निकाल कर कुएं में मरने दे रहे हैं वन्य प्राणियों को….

मामले की जांच करने की मांग की गई वन मंत्री से

रायपुर 11 फरवरी। वन क्षेत्रों में तथा वन क्षेत्रों के आसपास खुले कुओं (ओपनवेल) और सूखे और अनुपयोगी कुओं में दुर्घटनावश वन्य प्राणियों जैसे तेंदुआ, भालू, लकडबग्घा, हाथी, लोमड़ी इत्यादि के गिरने से हो रही वन्यप्राणियों की मौतों और खुले कुओं में गिरने से वन्यप्राणियों के चोटिल होने से रोकने के लिए, खुले कुएं के चारों ओर उचित उंचाई की दिवाल बनाने या जाली से ढकने एवं सूखे एंव अनुपयोगी कुओं को बंद करने के भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों की वन विभाग द्वारा किस प्रकार अनदेखी कर उल्लंघन किया गया और इसके कारण वन्यप्राणियों की कुओं में गिर कर हो रही मौतों को लेकर वन मंत्री को शिकायत प्रेषित कर कार्यवाही की मांग की गई है।

*क्या है पूरा मामला*

पूरे मामले की जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता नितिन सिंघवी द्वारा बताया गया कि 2017 में सूखे कुएं में गिरने से एक हाथी की मौत हो गई थी। इस प्रकार के कुओं के चारों ओर उचित उंचाई की दिवाल बनाने या जाली से ढकने एवं सूखे एंव अनुपयोगी कुओं को बंद करने की मांग वे वर्ष 2018 से छत्तीसगढ़ वन विभाग से कर रहे है। छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा खुले कुओं में वन्य प्राणियों की गिरने से हो रही मौतों को नजर अंदाज कर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण, और लगातार इस कारण से, वन्यजीवों की मौत होने के कारण, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर कर खुले कुओं को बंद करवाने कार्यवाही की मांग सितम्बर 2021 में की गई थी।

*क्या निर्देश दिए केंद्र और राज्य ने*

शिकायत पर भारत सरकार द्वारा 27 सितंबर 2021 को सचिव, वन विभाग महानदी भवन छत्तीसगढ़ शासन  को पत्र लिखकर मामले में जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, दोनों सरकारों ने अभिमत तो माँगा ही नहीं था । भारत सरकार से पत्र मिलने उपरांत छत्तीसगढ़ शासन वन जलवायु परिवर्तन विभाग ने तत्काल चार दिन पश्चात ही दिनांक 01.10.2021 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को भारत सरकार के पत्र पर आवश्यक कार्यवाही कर कृत कार्यवाही / प्रतिवेदन से छत्तीसगढ़ शासन को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों के अनुसार प्रदेश भर में वन क्षेत्रों और उसके आसपास खुले हुए कुओं जिनमें वन्य प्राणियों के गिरने की संभावना हो, के चारों तरफ ऊंची दीवाल बनाई जाने की अथवा जाली से ढका जाना चाहिए था।

*शासन ने दिए निर्देश तो अधीनस्थों से माँगा सुझाव पर अभिमत*

भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने छत्तीसगढ़ शासन के पत्र के लगभग 2 माह पश्चात दिनांक 26.11.2021 को अपने अधीनस्थ मुख्य वन संरक्षक (क्षेत्रीय), मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) तथा वन संरक्षक प्रोजेक्ट एलीफेंट रिज़र्व सरगुजा को पत्र लिखकर कहा “भारत सरकार नई दिल्ली से प्राप्त पत्र में आवेदक श्री नितिन सिंघवी द्वारा प्रस्तुत शिकायती पत्र पर जंगलों मं  और उसके आसपास खुले कुएं वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, के संबंध में सुझाव पर अभिमत चाहा गया है। अतः निर्देशाअनुसार उक्त पत्र पर आवश्यक कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही से अभिमत इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें“।

*क्या की गई है शिकायत वन मंत्री से*

वन मंत्री को प्रेषित शिकायत में बताया गया है कि भारत सरकार छत्तीसगढ़ शासन दोनों के पत्रों में स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिए गए है, जिसका कोई और मतलब नहीं निकला जा सकता, उसके बावजूद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने अधीनस्थों को पत्र में क्यों लिखा कि आवेदक श्री नितिन सिंघवी द्वारा प्रस्तुत शिकायती पत्र पर जंगलों में और उसके आसपास खुले कुएं वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, के संबंध में सुझाव पर अभिमत चाहा गया है? इससे प्रमाणित होता है कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों के मन में वन्यजीवों की लिए कोई सदभावना नहीं है और न ही वन्यजीवों की रक्षा की लिए उत्सुक है। पूरे प्रकरण में जांच करवा कर भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों को लापरवाही पूर्वक नजरंदाज करने के मामले में जाँच करवाने की मांग वन मंत्री से की गई।

*कांकेर में कुएं में डूब कर नहीं मरता तेंदुआ*

हाल ही में 27 जनवरी 2022 को कांकेर वन मंडल में ऐसे ही एक खुले कुएं में गिर कर के एक तेंदुए की मौत हो गई। अगर जागरूकता बरती गई होती, भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन की पत्रों का गलत अर्थ न निकला गया होता और भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों का पालन किया गया होता तो तेंदुए की मौत नहीं होती।

सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग को खुलासा करना चाहिए कि किस बात का अभिमत उन्हें अधीनस्थों से चाहिए? वन विभाग को नहीं मालूम कि राज्य निर्माण पश्चात सेकड़ों वन्यजीव खुले कुएं में गिर कर मर गए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में 27 जनवरी को कांकेर में खुले कुए में गिरकर एक तेंदुए की पानी में डूबने से मौत हो गई अगर वन विभाग सुझाव पर अभिमत मांगने के बजाये कुआं सुरक्षित करने की कार्यवाही करता तो तेंदुए की जान नहीं जाती।

नितिन सिंघवी 9826126200

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