डॉ संगीता परमानंद की किताब वीवा पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार
कोरबा 2 फरवरी। डॉ संगीता परमानंद की कहानियां भारतीय संस्कृति की पीठिका को लेकर चलती है। संस्कृति और आध्यात्म से संयमित है ये कहानियां। स्त्री विमर्श का प्रादर्श वीवा सायास ही महादेवी वर्मा जी का स्मरण कराती है। सुबोध,सहज संप्रेषित, हृदयस्पर्शी,संवेदना से संपूरित भाषा एक सकारात्मक प्रवाह लिए बढ़ती जाती है। स्त्री विमर्श पर लेखनी चलाने सिद्धहस्त लेखिका डॉ संगीता स्त्री को केंद्र में रख कर विमर्श उठाती है। उक्त उदगार प्रयास प्रकाशन बिलासपुर एवम देवम अंतरराष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक संस्थान बल्गारिया के सँयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य समीक्षा संगोष्ठी में राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने अध्यक्ष की आसंदी से व्यक्त किये। डॉ नीना शर्मा मुख्यवक्ता एसोसिएट प्रोफेसर गुजरात ने कहा कि कहानियों में जहाँ परम्पराएं भी है वही नवीन के स्वागत की तैयारी भी है। डॉ संगीता ने अपने आसपास की घटनाओं, पात्रों की संवेदनाओ, भावनाओ, करुणा,वेदना को बहुत ही गहराई से अनुभव कर कहानियों में उकेरा है। किसी एक वर्ग विशेष नही अपितु सम्पूर्ण समाज के लिए यह संग्रह उपयोगी है।
वीवा एक प्रकाश स्तम्भ है और इसके पात्र उजास रश्मि पुंज। प्रसाद के सौन्दर्यशास्त्र का साक्षात प्रमाण है डॉ संगीता परमानंद की किताब वीवा। सहज-सरल भाषा शैली के साथ प्रतीत होता है मानो लेखिका समक्ष प्रस्तुत हो कहानियां कहती जा रही है। नारी के सशक्त रूपो का चित्रण लिए कहानियां प्रवाहमान है। मुख्य वक्ता डॉ मीना पांडेय अस्सिटेंट प्रोफेसर दिल्ली ने कहा। देवम संस्थान बल्गारिया की संस्थापक डॉक्टर मोना कौशिक ने कहा कि कहानी के चरित्र भारत के घरों के, आसपास के एवं दैनिक जीवन के है। जिन पर नव्य अश्पृश्य विमर्शो के दाँत लेखिका ने लेखनी चलायी है। उन्होंने कहा कि डॉ संगीता ने साहितियक क्षेत्र में अपनी मेधविता का लोहा मनवा ही लिया।
उत्तर प्रदेश पुलिस के सेवा निवृत्त अधिकारी मुख्य अभ्यागत डॉक्टर सतीश चंद्र शर्मा ने वीवा को कहानी के सभी तत्वों के समाविष्ट का उत्कृष्ठ संग्रह निरूपित किया। डॉक्टर संपदा नासेरी असिस्टेंट प्रोफ़ेसर महाराष्ट्र ने डॉक्टर संगीत की कहानियों को पढ़ते वक्त पाठक कहानियों में स्वयं को ही पाते है, नारी के व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक सभी पहलुओं का समग्र निरूपण है वीवा, पाठक प्रतिक्रिया रूप में आभासी पटल पर अपने विचार व्यक्त किये प्रसिद्ध अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद जोशी इंगलेंड ने विदेशों में भी इस संघ्रह के प्रचार की बात स्वीकारते हुए इसे विशेषतया युवा वर्ग हेतु पठनीय एवं संग्रहनीय कहा। मानवीय अनुभवों को बहुत ही गहराई से डॉ संगीता ने अपनी कहानियों में चित्रित किया है। संगोष्ठी का सफल संयोजन एवं संचालन, वीवा विषयी विस्तृत भूमिका प्राचार्य डॉ विश्वनाथ कश्यप ने दी। पाठक प्रतिक्रिया एवं आभार प्रदर्शन मस्तूरी महाविद्यालय के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ आनंद कश्यप ने किया। इस अंतर्राष्ट्रीय साहित्य समीक्षा संगोष्ठी में देश विदेश से लगभग सौ से अधिक साहित्यकार, समीक्षक, पाठक जुड़े थे।