रोजगार की मांग को लेकर भू-विस्थापितों ने रोका एनटीपीसी सीपत का कोयला परिवहन

कोरबा 28 जनवरी। मुआवजा व रोजगार की मांग को लेकर भू-विस्थापितों ने एनटीपीसी सीपत परियोजना में कोयला आपूर्ति करने के लिए बिछाई गई रेल लाइन पर धरना में बैठ गए। आठ घंटा तक चले आंदोलन के बाद वार्ता में प्रबंधन ने आश्वस्त किया की बैठक कर समस्या का निदान किया जाएगा। आंदोलनकारियों ने कहा कि दो दिन के भीतर समस्या का निदान नहीं किया जाता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की दीपका खदान से कोयला आपूर्ति करने के लिए लिए एनटीपीसी सीपत परियोजना बिलासपुर द्वारा विभागीय स्तर पर मेरी-गो-राउंड सिस्टम से रेल लाइन बिछाई गई है। दीपका खदान के साइलो से विभागीय मालगाड़ी से कोयला परिवहन किया जा रहा है। रेल लाइन बिछाने ग्राम रेकी की जमीन अधिग्रहित की गई है। इससे कई ग्रामीण प्रभावित हुए हैं और उन्हें अभी तक रोजगार व मुआवजा नहीं मिल सका है। पत्राचार के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने पर प्रभावितों ने गुरूवार को सुबह नौ बजे से रेंकी के रेलवे फाटक पर अपनी मांग को लेकर रेलवे फाटक पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिए। इससे मालगाड़ी का परिचालन रूक गया। आंदोलन शाम पांच बजे तक चला, इस बीच अधिकारी वार्ता करने पहुंचे और उन्होंने आश्वस्त किया कि उनकी समस्या का समाधान जल्द किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 70 लोगों को रोजगार देने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो सकी है। वहीं प्रबंधन का कहना था कि 35 व्यक्ति का ही रोजगार शेष है। इस पर दोनों के मध्य सहमति बन सकी, बाद में प्रबंधन ने कहा कि दो दिवस के भीतर बैठक कर समस्या का निदान किया जाएगा। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि दो दिन के भीतर रोजगार व मुआवजा वितरण पर निर्णय नहीं लिया जाता है तो उग्र आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। इसके बाद ग्रामीणों ने आंदोलन स्थगित कर दिया। आंदोलन को उर्जाधानी भू-विस्थापित समिति के सदस्यों ने भी समर्थन दिया।

एनटीपीसी सीपत परियोजना को दीपका कोयला खदान से प्रतिदिन 14 रैक कोयला आपूर्ति किया जाता है। आंदोलन की वजह से लगभग छह रैक कोयला आपूर्ति नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि आंदोलन की खबर मिलते ही प्रबंधन ने मालगाड़ी का परिचालन रोक दिया था। स्टाक में पर्याप्त कोयला होने की वजह से संयंत्र परिचालन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। वहीं प्रबंधन का कहना है कि स्थिति सामान्य होने पर लदान बढ़ा कर कोयला आपूर्ति बढ़ा लिया गया है।

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