कल है भाई दूज: क्यों है इस पर्व का महत्व.?
नईदिल्ली 5 नवम्बर। दिवाली के बाद पडऩे वाला भाई दूज का त्योहार भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाई और बहनों के आपसी प्रेम को समर्पित है। इसे भइया दूज और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर मिलने आते हैं। दृक पंचांग के मुताबिक इस बार भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर, दिन शनिवार को पड़ रहा है। भाई दूज पर गणेश जी, यम, यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की विधिवत पूजा की जाती है। भाई दूज के दिन सभी बहनें अपने भाई के माथे पर रोली या फिर लाल चंदन से टीका लगाकर उनका मुंह मीठा कराती हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। बदले में भाई भी उन्हें दक्षिणा व उपहार आदि देकर सदैव उनकी रक्षा व मान रखने का वचन देते हैं।
महत्व और इतिहास
भाई दूज को लेकर वैसे तो कई कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन यह कथा काफी ज्यादा कही जाती है। कहते हैं कि कार्तिक मास की द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना नदी से मिलने उनके घर पहुंचे थे, तब उन्होंने उनकी खूब सेवा की थी। इस दौरान यमराज ने बहन से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि यमुना नदी में स्नान करने वाला प्राणी कभी यमलोक न जाए। यह सुन यमराज चिंतित हो गए। हालांकि बाद में भाई को परेशान देख यमी ने अपने वरदान में बदलाव कर दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करे व पवित्र जल में स्नान करे वह कभी यमलोक न जाए। इस पर यमराज ने ऐसा ही होने का वर दिया था। यही कारण है कि इस दिन यमराज के पूजन का विधान है और इसीलिए इसे यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है।