धान की फसल में पकने के दौरान मिल रहा गंधी बग का प्रकोप

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कोरबा 12 अक्टूबर। दिन-रात पसीना बहाकर खेतों में लगाई गई धान की फसल से पैदावार लेने का वक्त अब करीब है। ऐसे में कोई रोग या कीट किसानों की मेहनत पर पानी न फेर दे, यह संभावित संकट दूर रखने जानकारी जरूरी है। इसी बात पर फोकस करते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने धान की बालियों में असर डालने वाले गंधी बग की पहचान करने और अपने खेतों को उससे होने वाले नुकसान से बचाने की तरकीब सुझाई है। गंधी बग कीट से एक खास तरह की दुर्गंध निकलती है। इसके शरीर के ऊपरी भाग में त्रिकोण आकार बना होता है। बालियों के निकलने के समय इसका आक्रमण होता है।

खरीफ के सीजन में रोपी गई धान की फसल के पकने के दौरान ही गंधी बग का प्रकोप देखने को मिलता है। यह कीट बालियों की वृद्धावस्था में दूध चूसते हैं, जिससे दाने खखड़ी हो जाते हैं और फसल का नुकसान होता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए किसानों को चाहिए कि वे अपने खेत की सतत निगरानी रखे। कीट के प्रकोप होने पर मेथिल पैराथियान दवा फोलिडोल 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
धान की फसल में शुरुआत से पूर्णता तक विभिन्न अवस्थाओं में रोग एवं कीट का प्रकोप होता है, जो किसान भाइयों के लिए चुनौती है। फसल की विभिन्न अवस्था में कीट एवं रोग के लक्षण की पहचान बेहद जरूरी है, जिससे सही समय में फसल में रोग एवं कीट का नियंत्रण कर सके। धान फसल में लगने वाले कीट एवं रोग के लक्षणों की पहचान कर नियंत्रण के उपाय के लिए कटघोरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा की ओर से किसानों के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए हैं। धान जैसी मुख्य फसल में किसानों की मेहनत पर पानी फेरने के लिए कई तरह के कीट पतंग घात लगाए बैठे रहते हैं। ऐसे में यह चुनौती भरा कार्य हो जाता है कि किस तरह इससे निजात पाया जाए।

झुलसा रोग में धान के पत्तियों की नोक या किनारों से शुरू होकर धीरे-धीरे संपूर्ण पौधे में बढ़ता है। रोग नियंत्रण करने कापर आक्सीक्लोराइड 2-5 किग्रा व स्टेप्टोसाइक्लीन 50 ग्राम की मात्रा पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन के अंतराल में प्रयोग करें। भूरी चित्ती रोग में पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं। खड़ी फसल में मैनकोजेब व कार्बेंडाजिम का मिश्रण दो ग्राम प्रति एक लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। शीथ ब्लाइट धान में खड़ी फसल में जब खेत में पानी का अधिक भराव होता है, तब यह रोग के लक्षण दिखाई पड़ते है। इससे पत्तियों पर ऊपर की ओर भूरे रंग की धारियां, फिर पुआल के रंग जैसी होती हैं व पौधे सूख जाते हैं। वेलिडामाइसीन दवा का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

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