अब स्मृति शेष- बस्तर रत्न हरिहर वैष्णव

अपने साहित्य, कविता और कहानियों में बस्तर की खूबसूरती को सुंदरता से पिरोने वाले सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरिहर वैष्णव का निधन हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के मूर्धन्य साहित्यकार हरिहर वैष्णव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

ज्ञातव्य है कि वैष्णव बस्तर के लोक साहित्यकार थे। उन्होंने जनजातियों में प्रचलित कहानियों, गीतों को लिपिबद्ध किया। हिंदी के साथ ही बस्तर की स्थानीय बोलियों, हल्बी, भतरी में भी उन्होंने साहित्य का सृजन किया।

हरिहर वैष्णव का जन्म बस्तर के दंतेवाड़ा में 19 जनवरी 1955 को कोंडागांव में श्यामदास वैष्णव और जयमणि वैष्णव के घर हुआ। वर्तमान में सरगीपारा, कोंडागाँव (बस्तर) में रहते थे। आप हिन्दी साहित्य में स्नात्कोत्तर थे। आपने ज़्यादातर कविताएं और साहित्य बस्तर के बारे में ही लिखी हैं। बस्तर के लोक साहित्य के संकलन में किशोरावस्था से ही संलग्न रहे। बस्तर से बहुत गहरा जुड़ाव रहा है। बस्तर की परम्पराओं और संस्कृति को अपने काव्य और गद्य में उतारने पर इनके लेख प्रामाणिक माने जाते हैं। इन्होंने बहुत से बस्तर की जनजातियों में सदियों से गाये -बजाये जाने वाले गीतों को एकत्रित करके उनका अनुवाद किया है।

आप वन विभाग में लेखाकार के पद पर कार्यरत थे, लेकिन शोध कार्य के लिए पर्याप्त समय न मिल पाने के कारण उन्होंने सेवानिवृत्ति से चार साल पहले ही स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली। बस्तर, छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर अनुसन्धान कर्ता हैं।

मूलतः कथाकार एवं कवि श्री वैष्णव ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी की है। इनकी अभी तक 24 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, और कुछ प्रकाशित होने वाली है। जिनमें से इनकी मुख्य कृतियाँ हैं: लछमी जगार और बस्तर का लोक साहित्य।हिन्दी के साथ-साथ बस्तर की भाषाओं – हल्बी, भतरी, बस्तरी और छत्तीसगढ़ी में भी समान लेखन-प्रकाशन आपने किया है। आपके साहित्यों ने आपको ‘उमेश शर्मा साहित्य सम्मान 2009’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मान दिलाया।

परिचय

श्यामदास वैष्णव और जयमणि वैष्णव के घर 19 जनवरी 1955 को जन्में बस्तर के दंतेवाड़ा में कथाकार एवं कवि हरिहर वैष्णव.
●बस्तर और छत्तीसगढ़ की लोक कला,संस्कृति और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर रहे थे-हरिहर वैष्णव.
●24 पुस्तकों के रचियता, विशेष कृति ‘लक्ष्मी जगार’ औऱ ‘बस्तर का लोक साहित्य’.
●हरिहर वैष्णव का सम्पूर्ण लेखन कर्म बस्तर पर केंद्रित है.
●मृत्यु- 23 सितंबर 2021.

लोक साहित्य में अपनी विशेष बना चुके हरिहर वैष्णव नहीं रहे.

●प्रमुख कृतियां-
-मोहभंग [कहानी संग्रह]
-लक्ष्मी जगार [बस्तर का लोक महाकाव्य]
-बस्तर का लोक साहित्य
-चलो चलें बस्तर [बाल साहित्य]
-बस्तर के तीज़ त्योहार [बाल साहित्य]
-राजा और बेल कन्या [लोक साहित्य]
-बस्तर की गीति कथाएँ [लोक साहित्य]
-धनकुल [बस्तर का लोक महाकाव्य]
-बस्तर के धनकुल गीत [शोध]

हरिहर वैष्णव को लोक साहित्य के कारण वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद का उमेश शर्मा साहित्य सम्मान मिला. इसके अलावा छत्तीसगढ़ राज्य अंलकरण पं.सुंदरलाल शर्मा साहित्य सम्मान, दुष्यंत कुमार स्मारक संग्रहालय का आंचलिक सम्मान, साहित्य अकादमी का भाषा सम्मान शामिल है.

स्वर्गीय वैष्णव के निधन की सूचना पाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर शोक व्यक्त करते हुए लिखा यह साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। स्व. हरिहर वैष्णव ने बस्तर के लोक साहित्य की समृद्ध विरासत को सहेजने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। श्री बघेल ने ईश्वर से उनकी आत्मा की शान्ति और परिजनों को दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

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