Stories Uncategorized छत्तीसगढ़ कौन रास्ता निकालेगा कौशिक भाई….. +++++++++++++ त्रिजुगी तो अब भी साथ है, हमारी यादों में Gendlal Shukla July 14, 2020 कौन रास्ता निकालेगा कौशिक भाई…..0 विजय सिंह16 सितम्बर को बिलासपुर के मराठी कवि कपूर वासनिक जी ने फोन करके बताया था कि कौशिक भाई की तबियत कुछ अच्छी नहीं हैं.. जब उनका फोन आया तब मैं अम्बिकापुर में था… तत्काल पहुंच नहीं सकता था इसलिए बिलासपुर के कवि – आलोचक शाकिर अली जी फोन लगा कर कौशिक भाई के बार में बताया और उनसे निवेदन भी किया कि आप कौशिक भाई के घर चल दें देखें वह कैसे हैं और हो सके तो कौशिक भाई से बात भी करायें… शाकिर भाई के माध्यम से उस दिन कौशिक भाई से बात हुई ” उन्होंने कहा विजय तुम चिंता न करो सब ठीक हो जायेगा. उनसे बात करके अच्छा लगा और उम्मीद भी बनी कि वह पहले कि तरह स्वस्थ हो जायेंगे… कौशिक भाई को जानने वाले जानते हैं कि वे अलग मिट्टी के बने जीवट व्यक्ति थे …फक्कड़ से अपने धुन में मस्त दुबले पतले से कौशिक भाई जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर जीवन को जीवन की तरह जीने वाले व्यक्ति थे… किसी भी परिस्थिति में अपने को खड़ा कर समय और उनसे उभरी समस्याओं को ठेंगा दिखाकर हँसना – जीना जानते थे… इसलिए मैं आश्वस्त था! हांलाकि पिछले एक साल उनकी तबियत रह रह कर बिगड़ने लगी थी… जीवन भर दर्द की दवाईया लेते हुए अब धीरे – धीरे उनका लीवर – किडनी खराब़ होने लगा था…. एक बार तो हम सब डर गये थे अचानक उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया था… फिर बिलासपुर सिम्स के आई सी यू में एक हफ्ते रहकर स्वस्थ होकर घर लौट आये थे.. उस समय जब मैं उनसे मिला तो हँसते हुए कौशिक भाई ने कहा.. मुझे कुछ नहीं होगा विजय, तुम चिंता नहीं करो… मैं जीवन से जूझने और उसे परास्त करने के लिए पैदा हुआ हूँ …जब एक ट्रक ने मुझे रौंद दिया… तब कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा…. मैं जान रहा था कौशिक भाई मुझे सांत्वना देने के लिए यह सब कह रहे थे… उन्हें अपनी बिमारी का पता चल गया था कि उनका लिवर – किडनी बहुत हद तक खराब़ हो गया है.. अब उन्हें डाक्टरों के परामर्श और दवाईयों पर जीना था…. दरअसल बीस साल पहले कौशिक भाई का एक भयानक एक्सीडेंट हुआ था वे बिलासपुर में अपने गांव बिरकोना की ओर जा रहे थे रास्ते में किसी ट्रक वाले ने पीछे ठोकर मार दिया था कौशिक भाई स्कूटर के साथ ट्रक के पिछले चक्के में घसीटते हुए बहुत दूर तक चले गये… बेहोश होने के पहले कौशिक भाई ने कागज में अपना नाम पता लिॆख दिया था… उसी समय किसी भले मानस ने उन्हें उठाकर तत्काल जिला अस्पताल भर्ती कर उनके घर वालों को बुला लिया था… पूरे दो महीने मृत्यु से लड़ते हुए कौशिक भाई ने आखिरकार मृत्यु को परास्त कर दिया था… लेकिन इसके लिए उन्हें अपना बायां पैर घुटने से नीचे गंवाना पड़ा था.. दूसरा पैर जैसे तस बच गया लेकिन उसमें राड लगाकर पैर को खड़ा किया गया पूरे शरीर में घाव – चेहरे में सूजन सब कुछ ठीक होते – होते छै महीने लग गये… इतने भयानक हादसे के बाद अच्छा खासा आदमी भी टूट जाता, अधमरा हो जाता लेकिन मैंने बताया ना कौशिक भाई दूसरे मिट्टी के बने व्यक्ति थे.. एक नकली टांग लगाकर लौट आये थे अपने जनसम्पर्क की भागमदौड़ वाली नौकरी में और रचना संसार में भी उसी तरह सक्रिय हो गये थे जैसे पहले थे….अपने विभाग में अपने काम और सहज व्यवहार से पहचाने जाने वाले कौशिक भाई छत्तीसगढ़ के रचना संसार में भी अपनी जीवंतता और मौलिक कार्यो के लिए अलग से रेखांकित किये जाते रहे हैं …संवेदनशील छायाकार , कवि, रंग लेखक और लोक संस्कृति के मर्मज्ञ कौशिक भाई की प्रतिभा से मैं हमेशा अभिभूत रहा हूँ …हांलाकि इस बात की शिकायत मुझे हमेशा से छत्तीसगढ़ के कतिपय आलोचक, संपादक, कवियों से रही है जिन्होंने कभी भी कौशिक भाई की प्रतिभा, उनकी प्रतिबध्दता, उनके काम, उनकी कविता के साथ न्याय नहीं किया दरअसल कौशिक भाई उन लोगों में से नहीं थे जो अपने आकाओं को खुश कर हमेशा रचना के केन्द्र में बना रहना जानते थे.. .. संभवतः ,94 95 या उसके आसपास आसपास जब मैं रचना संसार को जानने के लिए आतुर था तब मुझे कौशिक भाई मिले थे.. दरअसल एक पत्रिका में उनकी ” अबूझमाड़ ” कविता पढ़कर मैं उनसे मिलने चला गया था.. तब कौशिक भाई जगदलपुर में पदस्थ थे.. वह बहुत आत्मीयता से मुझसे मिले थे… जबकि तब तक रचना संसार में त्रिजुगी कौशिक का नाम जाना पहचाना हो गया था… पहली बार उनसे मिलकर कतिपय स्थानीय रचनाकारों के प्रति बन रही मेरी धारणा टूटी थी.. दरअसल जगदलपुर के कुछ वरिष्ठ रचनाकारों से पहली बार मिलने के बाद सारा उत्साह जाता रहा ..सोचता रहा लेखक एेसें भी होते हैं…? जिनसे मिलकर आप लेखन से भागना चाहें… बहरहाल कौशिक से मिलकर मैं लेखन से भागने से बच गया…. वह पहली मुलाकात हमें जीवन भर के लिए जोड़ दिया था… कौशिक भाई मेरे लिए ,मेरे परिवार के लिए सब कुछ थे… बड़े भाई ,दोस्त, राज़दार, अभिवाहक.. सब कुछ ….यहाँ तक मां – बाबा भी मुझसे ज्यादा कौशिक भाई को मानते थे… उनका मानना था मैं लिखने – पढ़ने और नाटक के पीछे पागल रहता हूं इसलिए काम का नहीं हूँ.. जब मेरी शादी की बात चली थी तब माँ – बाबा ने लड़की देखने के लिए कौशिक भाई को मेरे साथ भेज दिया था कि तुम इसके लिए लड़की पंसद कर लेना.. यह तो लड़की देखना नहीं चाहता कहता है मुझे लड़कियों का परेड नहीं कराना….. अब तुम भी बताओ कौशिक बाबू एेसा होता है क्या? और फिर मां बाबा ने दो तीन लड़कियों के फोटोग्राफ कौशिक भाई के हाथों थमा दिया था यह कहते हुए सब के यहां देख कर हमें सूचित करो…. कौशिक भाई ,मुझे मेरे स्वभाव को जानते थे इसलिए उस समय माँ बाबा से कुछ नहीं कहा और एक फोटो सामने लाकर रख दिया… और कहने लगे एक ही लड़की देखना है न चलो इनके घर चलते हैं …इस तरह सरिता मेरे जीवन में आई…. मुझ पर कुछ मित्रों ने कविताएं लिखी है लेकिन कौशिक भाई ने मुझे पर खूब कविताएं लिखी हैं मैंने उनसे कई बार कहा कौशिक भाई मुझ पर ज्यादा लिखोगे तो लोग बोलेंगे… तो हंसकर वह कहते जानते हो विजय ” एक कवि पर एक कवि कविता लिखे तो कविता प्रामाणिक और जीवंत होती है… वैसे छत्तीसगढ़ के रचनाकारों को पता था कि त्रिजुगी – विजय को अलग नहीं किया जा सकता…. वैसे तो कौशिक भाई बिलासपुर के रहने वाले थे लेकिन अपनी नौकरी का बहुत लंबा समय उन्होंने जगदलपुर में बिताया था इसलिए वे यही के होकर रह गये थे.. वैसे भी कौशिक भाई जगदलपुर ,बस्तर को ही अपनी रचना भूमि मानते थे.. यह सच भी है कि अब तक जितना उन्होंने महत्वपूर्ण लिखा है वह यही रहकर लिखा है… यहां से जाने के बाद उनकी कलम में, उनके छायाचित्रों में वह धार देखने को नहीं मिलती.. इस बाबत मैंने कई बार कौशिक भाई से शिकायत की वह हंसकर टाल जाते… जगदलपुर के सभी रंग – साहित्यिक संस्थाओं में उनकी उपस्थिति हुआ करती थी लेकिन ” सूत्र” के साथ मन – प्राण से जुड़े थे.. सूत्र पत्रिका, सूत्र बाल रंग शिविर ,सूत्र सम्मान सब कुछ कौशिक भाई की देन है…. वह जब तक यहां थे हम लोग अनवरत काम करते रहे हैं ….मुझे याद है जब उनका प्रमोशन हुआ था और मुख्य छायकार के रूप में रायपुर ज्वाईन करना था.. तब बेमन से जगदलपुर उन्होंने छोड़ा.. और जब छुट्टी मिलती जगदलपुर भागे चले आते… जब भी मैं उदास होता या स्थितियाँ मेरे अनुकूल नहीं होती तब कौशिक भाई कोई न कोई रास्ता मेरे लिए निकाल लेते….. लेकिन अब मेरे मुश्किल दिनों में, मेरे लिए रास्ता कौन निकालेगा कौशिक भाई …. Spread the word Post Navigation Previous पुलिस कर्मी निकला कोरोना पाजिटिव्ह, सोमवार को था मंत्री के मंच पर मौजूद, मच हुआ है हड़कम्पNext सरकारी दुकान की शराब में मिलावट, पुलिस ने रंगे हाथ पकड़ा, आबकारी विभाग में हड़कम्प Related Articles अपराध कानून कोरबा छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की कार्रवाईः चढ़ी भट्ठी सहित कुल 51 हाथ भट्ठी महुआ शराब बरामद Gendlal Shukla December 26, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ राजकाज उपभोक्ताओं को दी गई अधिकारों की जानकारी Gendlal Shukla December 26, 2024 INDIA Newsbeat Stories देश प्रेरणा भारत संगठन सामाजिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को जानिए, प्रार्थना बताता है- सच..! Gendlal Shukla December 26, 2024