अब शहरों को मिलेगी प्रदूषण से राहत, जैव ईंधन परियोजना की हो रही शुरुआत
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नागपुर 28 मई। भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसके विकास का उद्देश्य समावेश पर केंद्रित है, जिसमें नागरिकों के जीवन स्तर को और बेहतर करने के लिए ‘ऊर्जा’ एक महत्वपूर्ण इनपुट है। दरअसल, इन दिनों ऊर्जा की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ऊर्जा का उपयोग मुख्य रूप से खाना बनाने, प्रकाश की व्यवस्था करने और कृषि इत्यादि कार्यों में किया जा रहा है। ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए देश में सरकार व निजी कंपनियां विभिन्न स्तर पर कार्य कर रही हैं। इस खबर के माध्यम से ऐसी ही एक परियोजना से आपको रूबरू कराएंगे, जो आगामी समय में देश को जैव ईंधन उपलब्ध कराएगी।
किस तकनीक से होगा ईंधन उत्पादन ?
यहां बात हो रही है एक निजी कंपनी की, जो महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के रायपुर में जमीनी स्तर पर जैव ईंधन उत्पादन परियोजना शुरू करेगी। बता दें, यह परियोजना करीब 25 एकड़ भूमि पर स्थापित की जा रही है। तकनीकी और वित्तीय सहायता मुंबई की एक कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही है, जबकि ईंधन उत्पादन की तकनीक जर्मन है।
गीली घास से कैसे करते हैं गैस उत्पन्न ?
इसमें बायोरिएक्टर घास, गीले कचरे, गीली घास से गैस उत्पन्न करते हैं और शुद्धिकरण के बाद इसका उपयोग दोपहिया, चौपहिया और मालवाहक वाहनों के लिए किया जा सकता है।
किन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है इस्तेमाल ?
इस गैस का उपयोग खाना पकाने के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में भी किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के लिए गोंदिया के हर गांव में घास लगाई जाएगी। चूंकि यह गीले कचरे और गीली घास का उपयोग करेगा, यह स्वचालित रूप से गांव को साफ रखने में मदद करेगा।
कितने प्रतिशत तक कम करेगा प्रदूषण ?
इस गैस की उत्पादन प्रक्रिया भी प्रदूषण मुक्त होती है और इसका उपयोग वाहनों में किया जाए तो वाहनों से होने वाले प्रदूषण को पचास प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इसलिए जैव ईंधन मौजूदा प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण आर्थिक तनाव का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।