छत्तीसगढ़ ब्लैक फंगस से अलर्ट.. फ्री होगा इलाज …दो मरीज मुंबई व उड़ीसा रिफर, जानें क्‍या है इलाज, कैसे बरतें एहतियात

■ मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को दिए निर्देश

रायपुर 15 मई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण होने की जानकारी को गंभीरता से लिया है, उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये हैं।

मिली जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस का छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में इलाज फ्री होगा।डॉ. खूबचंद बघेल योजना में यह बीमारी है शामिल सभी 6 सरकारी व प्रस्तावित 3 नए मेडिकल कॉलेजों में मरीजों का इलाज किया जाएगा प्रदेश में ब्लैक फंगस के 40 से ज्यादा मरीज मिल चुके है प्रदेश में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, राजनांदगांव व जगदलपुर में मेडिकल कॉलेज हैं। महासमुंद, कांकेर व कोरबा में है फ्री इलाज प्रस्तावित हैं।

ज्ञात रहे कि देश के दूसरे हिस्से की तरह छत्तीसगढ़ में भी ब्लैक फंगस का खतरा मंडराने लगा है. इस बीमारी से पहली मौत भिलाई में हो चुकी हैं. इस समय संदिग्ध मरीज का सेक्टर-9 हॉस्पिटल के एच-0 से 7 वार्ड में इलाज चल रहा है। क्रिटिकल हुए चार अन्य मरीजों को यहां से एम्स रायपुर रेफर कर दिया गया है। अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें से अधिकांश कोरोना से रिकवर होने के बाद ही ब्लैक फंगस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यही नहीं कोरोना से रिकवरी के बाद घर पर इलाज ले रही सुपेला की आई सर्जन भी इससे संक्रमित हो गई हैं। जिसकी स्थिति गंभीर बनी हुई हैं उसे उपचारार्थ मुंबई रिफर किया गया हैं।

इन मरीजों के अलावा एक मरीज स्पर्श अस्पताल में भी भर्ती हैं। ब्लैक फंगस के सिमटम दिखने पर उसे उड़ीसा से यहां भर्ती कराया गया है। इस मरीज की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। इलाज कर रहे डॉक्टर संभावित केस मान रहे हैं। खास बात यह है कि जितने भी मामले सामने आए हैं, उन्हें कोविड हुआ। इसके बाद जब वे रिकवर हो रहे थे, तभी उनमें ब्लैक फंगस वायरस का इन्फेक्शन हुआ। इसे बहुत खतरनाक माना जा रहा है। आंख और मस्तिष्क में इसका सबसे अधिक असर हो रहा।
बताया जाता हैं कि कोरोना संक्रमण के साथ ही अब म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले बढ़ने लगे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना संक्रमित या संक्रमण से निकल चुके व्यक्ति में ब्लैक फंगस होने की बड़ी वजह ओरल हाइजीन मेंटेन नहीं रखना भी है। जो संक्रमित आक्सीजन पर होते हैं, उनके मुंह की कई दिन तक सफाई नहीं हो पाती। ऐसे में लगातार ह्यूमिडीफाइड आक्सीजन उसके अंदर जाने से मुंह में ब्लैक फंगस बनने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि जिन मरीजों को आक्सीजन दी जा रही हो, उनका विशेष ध्यान रखा जाए। माइक्रोबायोलाजिस्ट डॉ. राहुल गोयल बताते हैं कि जरूरत पड़ने पर संक्रमितों को पांच से सात दिन तक ऑक्सीजन लगाई जा रही। इस दौरान स्वजन उनसे दूर होते हैं और मेडिकल स्टाफ मरीज की साफ सफाई या ओरल हाइजीन का ध्यान नहीं रखता। इससे मुंह और नाक में लगातार आक्सीजन जाने के चलते सफेद पपड़ी जम जाती है, यहीं से फंगस व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक यह फंगस खून के साथ बहकर फेफड़ों, नाक, आंख और मस्तिष्क में पहुंचता है। जिस जगह यह ज्यादा दुष्प्रभाव डालता है, वहां सूजन होने लगती है। उन्होंने बताया कि ह्यूमिडीफाइड ऑक्सीजन में यह जल्दी पनपता है एपिडेमियोलाजिस्ट डा. प्रवीण कर्ण का कहना है कि ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा मधुमेह के मरीजों को है। स्टेरायड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है। यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ाते हैं।

जानकारी के अनुसारइलाज में सबसे उपयोगी एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसन- बी लाइपोजोमल है। यह पहले करीब पांच- छजार रुपये में मिल जाता था। मांग नहीं होने की स्थिति में एमआरपी से कम कीमत पर भी मिल जाता था, लेकिन अब एमआरपी से अधिक कीमत पर भी मुश्किल से मिल रहा है। एम्फोटेरिसन- बी में भी कई श्रेणी के इंजेक्शन आते हैं। कन्वेंशनल इंजेक्शन सस्ता पड़ता है पर इसे देने पर मरीज की किडनी की मानीटरिंग करनी पड़ती है ताकि दुष्प्रभाव का पता चलता रहे।

बता दे कि किसी मरीज में ब्लैक फंगस का संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख तक निकालनी पड़ जाती है। इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फिजिशियन के अलावा, न्यूरोलाजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।
√ ऐसे बरते एहतियात
◆सामान्य व्यक्ति तो दिन में दो बार ब्रश करें।
◆पानी को बोतल करें प्रतिदिन साफ।
◆मरीज अगर होश में है तो सामान्य व्यक्ति की तरह प्रतिदिन मुंह साफ करें।
◆मरीज अगर होश में नहीं है तो डेमिकल माउथ पेंट डालकर मुंह साफ कर सकते हैं।
◆जिस व्यक्ति को आक्सीजन लगी है और होश में नहीं है तो मेडिकल स्टाफ द्वारा प्रतिदिन उनके मुंह की सफाई करानी चाहिए। यह सिर्फ कोविड में ही नहीं नॉन कोविड मरीजों के साथ करना होगा।
√ कैसे जाने हमें कहीं ब्लैक फंगस तो नहीं–

नाक के ऊपरी हिस्से में काल धब्बे और आगे गहरे घाव बन जाना, चेहरे पर एक तरफ सूजन होना, सिर दर्द होना, साइनस की दिक्कत, तेज बुखार, खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, स्किन पर फुंसी या छाले, इंफेक्शन वाली जगह काली होना, आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द और उल्टी या मिचली महसूस होना।

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